दिनांक 06.03.2020
“सम्मान करो क्योंकि महिला पहले एक इंसान है”
- सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर आयोजन
- कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने किया कविता पाठ
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर विश्वविद्यालय की महिला अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने नाट्य प्रस्तुति दी और कविता को चित्रकारी के माध्यम से भी प्रस्तुत किया।
चीनी भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि विश्व की हर महिला का सम्मान सिर्फ इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि वो एक महिला है बल्कि इसलिए होना चाहिए क्योंकि वो महिला से पहले एक इंसान है और इंसान-इंसान में फर्क नहीं किया जाना चाहिए।
महिला दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय की डॉक्टर अंजलि दुबे ने अपनी कविता“तुम विविध रूप धरने वाली, विष सोख सुधा करने वाली” का पाठ किया। डॉ. रितु श्रीवास्तव ने स्वरचित कविता“बुद्धिमत्ता का झंडा मैं गाड़ूं और बन जाऊं मनीषी” की प्रस्तुति दी। छात्राओं ने नाटक “बेटी है तो कल है ” विषय पर नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा आशना आसिफ ने अपनी मां वंदना आसिफ की लिखी कविता के आधार पर पेंटिंग को तैयार किया और उसे चित्र के रूप में कविता पाठ के दौरान प्रस्तुत किया। छात्रा मुस्कान और अंजलि ने सत्यमेव जयते के पारंपरिक गीत “ओ री चिरैया” को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय की नर्स श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने अपनी कविता ”जन्म देने के लिए मां चाहिए” सुनाई। श्रीमती चंद्रवंशी ने बताया कि 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में महिलाओं की संख्या 48.2 और पुरुषों की संख्या 51.8 प्रतिशत है। छात्र पुल्कित दीक्षित ने “ये माटी सभी की कहानी कहेगी” गीत पर प्रस्तुती दी।
विश्वविद्यालय के योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ एस. के तिखे ने धर्मेंद्र कुमार निवातियां की लिखी कविता ‘सबला नारी’ को प्रस्तुत किया। अंग्रेज़ी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता ने अपनी प्रकाशित कविता“मां की चपातियां” सुनाकर सभी को भावुक कर दिया। महिला दिवस पर भारतीय चित्रकारी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुष्मिता नंदी ने “परिचय और पहचान जो खो जाए” सुनाई।
योग विभाग के छात्र प्रशांत खरे ने भी बुंदेली में अपनी कविता सुनाई। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के डीन डॉ ओ.पी बुधोलिया ने झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई......महाभारत की हिडिंबा का वर्णन कर नारी शक्ति पर चर्चा की।