Press Release - 2022
Press Release - 2021
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित ब्रॉन्ड बनाने के प्रयास होंगे
- शोध के नए प्रतिमान कायम करने बनेगी बौद्धिक पीठ
- आम जनता के लिए बौद्ध-भारतीय ज्ञान के कैप्सूल कोर्सेस शुरु होंगे
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की सामान्य परिषद की बैठक में विवि से संबंधित कई अहम फैसले किए गए। संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सांची विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध और भारतीय ज्ञान के शोध क्षेत्र में स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
- शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने दोहराई शपथ
- संविधान की उद्देशिका की ली गई शपथ
- अकादमिक सत्र 2021-22 की प्रवेश सूचना जारी
- एमए, एमएससी, एमएफए और लाइब्रेरी पाठ्यक्रम शुरु
- 32 विषयों मे एडवांस सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्सेस भी
- लाइब्रेरी साइंस में भी कोर्स, नई शिक्षा नीति के अनुरूप कोर्सेस
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश शुरु हो गया है। अकादमिक सत्र 2021-22 के लिए विश्वविद्यालय ने एमए, एमएफए, एमएससी, एमएलआईएस, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स में योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे है। इस सत्र में 32 स्पेशल सर्टिफिकेट कोर्स शुरु हो रहे हैं जो नई शिक्षा नीति के अनुसार तैयार किए गए हैं। इच्छुक उम्मीदवार 25 अगस्त तक फॉर्म भर सकेंगे और 31 अगस्त के बाद मेरिट आधार पर प्रवेश सूची बनेगी। कोरोना के चलते विवि द्वारा प्रवेश परीक्षा के स्थान पर मेरिट को आधार बनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवार सांची विवि की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर जाकर एडमिशन से जुड़ी प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 25 अगस्त है एवं मेरिट लिस्ट का प्रकाशन 31 अगस्त तक संपन्न होगा। छात्र, प्रवेश से जुड़े किसी सवाल या फॉर्म भरने से जुड़ी समस्याओं के संबंध में admission@subis.edu.in पर ई-मेल से संपर्क कर सकते हैं।
इस बार बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, भारतीय दर्शन, योग, भारतीय चित्रकला एवं भारतीय शिक्षा और सर्वांगीण विकास के साथ-साथ धर्म, संस्कृति, विभिन्न पारंपरिक हीलिंग पद्धतियों, भारतीय संत परंपरा, वैदिक कर्मकांड, चीन और भारत के सांस्कृतिक संबंध, स्वामी विवेकानंद की वैश्विक दृष्टि, योग निद्रा, योग एवं पंचकर्म, भारतीय शिक्षण पद्धति, नाड़ी शास्त्र परिचय, खगोल विज्ञान, बौद्ध विहारों में आचरण पद्धति, प्राचीन भारतीय कला जैसे 32 विभिन्न विषयों पर प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरु किए जा रहे हैं जिनमें प्रवेश लिया जा सकता है। ये विषय जनमानस की रुचि से जुड़े है।
सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय को उच्चकोटि के रिसर्स के साथ जनमानस की जिज्ञासा को पूरी करने का माध्यम भी बनाया जा रहा है जिससे यह संस्थान अपने उद्देश्य को पूरा कर सके। सांची विश्वविद्यालय बौद्ध और भारतीय प्राचीन ज्ञान की पुनर्स्थापना और उसमें शोध एवं संवाद को बढ़ावा देने पर भी काम कर रहा है।
- भारतीय ज्ञान का प्रसारण करेंगे- डॉ चतुर्वेदी
- इतिहास के प्रोफेसर है डॉ चतुर्वेदी
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के नए कुलसचिव डॉ अलकेश चतुर्वेदी ने आज कार्यभार ग्रहण किया। डॉ चतुर्वेदी ने पदभार ग्रहण करने के उपरांत कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता से सौजन्य भेंट की। दोनों अधिकारियों ने सांची स्थित विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण भी किया। इस अवसर पर सांची विवि के स्टॉफ को संबोधित करते हुए डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय में बहुत संभावनाएं है और विभिन्न अध्ययन क्षेत्रों का विकास करने पर उनका फोकस रहेगा। उन्होने कहा कि सांची विवि भारतीय ज्ञान के प्रसारण का वाहक बनेगा। इस अवसर पर कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि पूर्णकालिक कुलसचिव के होने से सांची विश्वविद्यालय के संचालन और कार्य में अभूतपूर्व तेज़ी आएगी। उन्होने कुलसचिव के साथ मिलकर बुद्धिस्ट और इंडिक सर्किट पर तेजी से काम करने का आव्हान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ नवीन कुमार मेहता ने कुलसचिव का परिचय दिया एवं विश्वविद्यालय कर्मियों का परिचय प्रोफेसर डॉ अलकेश चतुर्वेदी से कराया। 2012 से महाकौशल कला एवं वाणिज्य स्वायत्त कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ चतुर्वेदी की सेवाएं दो वर्ष के लिए सांची विश्वविद्यालय को सौंपी गई है।
- सांची स्तूप पर सांची विवि ने किया योग दिवस का आयोजन
- पीएम मोदी के कार्यक्रम में भी हुआ लाइव प्रसारण
- ‘मन, मस्तिष्क और शरीर से स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ ’-कुलपति
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के योग विभाग के छात्रों ने सांची स्तूप पर योगाभ्यास कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सांची स्तूप के सामने योग के आसनों को प्रस्तुत किया।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर छात्रों ने पद्मानाभासन, भद्रासन, भुजंगासन, चक्रासन, हलासन, गोमुखासन, धनुरासन आदि का अभ्यास किया। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन के दौरान दूरदर्शन पर भी किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ श्याम गनपत तिखे ने कहा कि प्रतिदिन योग करने से ही निरोग रहा जा सकता है।
सांची विश्वविद्यालय परिसर में हुए योग दिवस कार्यक्रम में शिक्षकों-छात्रों, अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी सम्मिलित हुईं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी नेमत निरोगी काया है। जब मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होंगे तभी व्यक्ति को स्वस्थ कहा जा सकता है। उनका कहना था कि योग के माध्यम से ही मन, मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। कुलपति डॉ गुप्ता ने कहा कि आनंद की अनुभूति पर बौद्ध गुरू दलाई लामा ने कहा था कि उचित श्वसन ही आनंद है और इस हिसाब से योग; सत्, चित्त और आनंद की प्राप्ति का अहम सूत्र है।
स्वयं का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा कि वो पिछले 48 सालों से योग कर रही हैं और योग ने ही उन्हें मन, मस्तिष्क और शरीर से स्वस्थ रखा हुआ है क्योंकि उनका Tsh (टी.एस.एच) थाइराइड लेवल 16 रहता था लेकिन योग के ज़रिए ही उन्होंने इस संतुलन को पाया हुआ है। उनका कहना था कि यदि यह टी.एस.एच 6 से 8 के आसपास होता है तो व्यक्ति मोटापे से ग्रसित हो जाता है, लेकिन योग के कारण ही वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।
- संस्कृति, पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने किया लोकार्पण
- आवंटित भूमि के समीप पहुंचा विश्वविद्यालय
संस्कृति, पर्यटन एवं अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के सांची स्थित नवीन परिसर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक और बौद्ध के सुंदर समन्वय से बने विश्वविद्यालय से पूरे विश्व को अपेक्षाएं है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का ध्वजवाहक बन सांची विवि 21वीं सदी में भारत को विश्वगुरु बनाने के प्रयास में भूमिका निभा सकता है।
इस अवसर पर मंत्री महोदय ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को पढ़ने आने वाले हर छात्र से 5 पौधे लगाने एवं पढ़ाई पूर्ण करने तक उनको पालने का प्रयोग करना चाहिए। उषा ठाकुर जी ने शिक्षा में क्रांतिकारियों के जीवन वृत्त और उनके उद्देश्यों को शामिल करने का भी सुझाव दिया।
मंत्री महोदय का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय शोध के सिरमौर संस्थान बनने की दिशा में अब तेज़ गति से बढ़ेगा। उन्होने मंत्री महोदय को आश्वासन दिया कि विवि अपनी गतिविधियों और शोध कार्यों से नए सोपान गढ़ेगा।
लोकार्पण अवसर पर मंत्री महोदय ने पौधा भी रोपा। अभी तक बारला स्थित किराये के भवन से संचालित हो रहा विश्वविद्यालय अब सांची स्थित पर्यटन विभाग के नये भवन से संचालित होगा। नई इमारत में विश्वविद्यालय प्रस्तावित स्थल पर निर्माण पूर्ण होने तक रहेगा। सांची स्थित यह परिसर विश्वविद्यालय के प्रस्तावित परिसर के बिल्कुल समीप है। सांची में होने से यहां आने वाले पर्यटकों एवं अन्य लोगों को भी सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय से संपर्क का मौका मिलेगा।
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत इस समय जिस कोरोना काल से गुज़र रहा है ऐसे समय में हमारी अहम ज़िम्मेदारी बनती है कि पूरी दुनिया को संस्कृति और सभ्यता दी जाए।
उन्होंने कहा कि ये समय खास तौर से पश्चिम के लोगों को भारत की ओर आकर्षित करने का है जब हम उन्हें सभ्यता और संस्कृति से वाकिफ करा सकतै हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विशेष रूप से शोध संस्थान खड़ा करने के लिए प्रयासरत है ताकि बौद्ध और भारतीय दर्शन पर आधारित विशिष्ट शोधों को बढ़ावा दिया जा सके। इससे पूरे विश्व को नया मार्गदर्शन मिलेगा।
डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय एक अनूठा विश्वविद्यालय है जो कि बौद्ध और भारतीय दर्शन की शिक्षाओं को सम्मिश्रित कर शिक्षा प्रदाय करता है।
धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित करते हुए विवि के कुलसचिव व संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय अब देश और विश्व में नए ज्ञआन का प्रसार करेगा। उन्होने सभी कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त किया।
- बुद्ध पूर्णिमा पर ऑनलाइन संगोष्ठी
- अंधकार को मिटाने की राह है बुद्ध- गेशे दोर्जी दामदुल
- सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है बौद्ध धर्म- डॉ गुप्ता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा पर सौदर्य का आंतरिक विश्वास बौद्ध धर्म ( Buddhism as a religion of inner belief of beauty ) पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। बौद्ध दर्शन स्कूल एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन स्कूल की ओर से आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के मुख्य पूजनीय गेशे दोर्जी दामदूल के साथ विदेश संवाददाता क्लब के मुनीष गुप्ता शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई एवं डॉ नवीन कुमार मेहता ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के संस्कृति सेंटर के प्रमुख गेशे दोर्जी दमादुल थे। पूजनीय गेशे दोर्जी दमादुल ने कहा कि बुद्ध आतंरिक शुद्धता पर जोर देते है। उन्होने कहा कि आंतरिक अंधकार को मिटाने के लिए बुद्ध स्वयं की रोशनी की बात करते हुए अप्प दीपो भवः की बात करते हैं। जब हम ज्ञान की खोज में जुटते है तो हमारा चेहरा चमकने लगता है। उन्होने कहा कि सभी को गंदगी मिटाने की कोशिश करना चाहिए। उन्होने बुद्ध की जीवनपयोगी शिक्षाओं पर विस्तृत व्याख्यान दिया।
पीआईओ टीवी के मुख्य कार्यकारी और दक्षिण एशिया के विदेश संवाददाता क्लब के अध्यक्ष मुनीष गुप्ता ने कहा कि बुद्ध ने अपनी शिक्षा के जरिए वंचितों को ऊपर उठाने का कार्य किया। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है। बौद्ध धर्म में स्वयं का दर्शन है और अपनी शिक्षाओं के जरिए गौतम बुद्ध समाज की बुराइयों पर प्रहार के साथ व्यक्तित्व विकास की भी राह दिखाते है।
सांची विवि की कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने कहा कि बौद्ध धर्म का मूल भगवान बुद्ध की शिक्षा है और हमारा विश्वविद्यालय दुनियाभर में बुद्ध के अध्ययन अध्यापन का वैश्विक केंद्र बनेगा। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सबको साथ लेकर चलता है और इसका दर्शन समायोजी है।
कार्यक्रम के समन्वयक और बौद्ध दर्शन विभाग प्रमुख डॉ संतोष प्रियदर्शी ने विपरीत परिस्थिति में भी कार्यक्रम में भारी संख्या में जुटे विद्वानों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ देवेद्र सिंह विभाग अध्यक्ष संस्कृत विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होने ऑनलाइन संगोष्ठी के माध्यम से दुनियाभर से जुड़े विद्वानों, शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
- ऑस्ट्रेलिया के दानदाताओं ने भारत भेजी थी ये मशीनें
- सांची विश्वविद्यालय को बनाया गया था वितरण के लिए नोडल
- 80 मशीनें दिल्ली, 07 अहमदाबाद, 05 जम्मू और 08 मध्य प्रदेश में बांटी गईं
- प्रदेश के स्वास्थ मंत्री के साथ कुलपति महोदया ने किया वितरण
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आज भोपाल और रायसेन में ऑस्ट्रेलिया से आईं 8 ऑक्सीजन कॉनसन्ट्रेटर मशीनों का वितरण किया गया। सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने आज प्रदेश के स्वास्थ मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के साथ 02 ऑक्सीजन कॉनसेंट्रेटर मशीन रायसेन ज़िला अस्पताल को दीं।
दिनांक 05 May 2021
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन की पी.एच.डी छात्रा श्वेता नेमा को सरस्वती बाई दादा साहब फाल्के आइकोनिक इंटरनेशनल वूमन ऑफ दी ईअर 2021 अवॉर्ड से नवाज़ा गया है। इनोवेटिव आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन मुंबई द्वारा एक वर्चुअल अवार्ड शो, SDP ICONIC International WOMEN AWARD 2021 का आयोजन किया गया था। इस सम्मान के लिए दुनिया भर के 50 से ज्यादा देशों से 3000 से अधिक प्रविष्टियां नामांकन हेतु आई थी जिनमें से अति विशिष्ट 100 प्रविष्टियों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
ये सम्मान श्वेता नेमा को उनकी विभिन्न सक्रिय गतिविधियों के कारण मिला है। श्वेता को जनहितकारी सामाजिक कार्यो, स्वस्थ एवं शिक्षित समाज निर्माण में सहयोग के लिए पूर्व में गेस्ट ऑफ ऑनर और आदर्श नारी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
योग के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी श्वेता निःशुल्क योग कक्षाओं का आयोजन कर वर्षों से लोगों को स्वास्थ्य लाभ दे रही हैं। श्वेता का कहना है कि- “जो महिलाएं अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए तथा जीवन की सभी बाधाओं से लड़ते हुए अपने सपनों का पीछा करती हैं और अपने आप को केंद्रित रखते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचती हैं। वे महिलाएं ही दूसरों के लिए एक आदर्श, प्रेरणा और रोल मॉडल बनती है।“ उनका कहना है कि “हर महिला समाज में खुद का एक विशेष स्थान बना सकती है और दूसरों के लिए आदर्श और प्रेरणा बन सकती है जरूरत है तो बस एक दृढ़ इच्छाशक्ति और निर्णय की।“
IAWA अवॉर्ड का उद्देश्य समाज में अपनी पहचान बनाने वाली शीर्ष 100 प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को उभारना है। तथा उनके सभी प्रयासों और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचान देना है।
ये SDP पुरस्कार उस महान महिला को एक श्रद्धांजलि हैं, जिन्होंने अपने पति दादासाहेब फाल्के जी, भारत के पहले फिल्म निर्माता, और भारतीय सिनेमा के पिता के साथ जबरदस्त मेहनत की थी। इसलिए सभी सफल महिलाओं को महान सरस्वती बाई दादासाहेब फाल्के जी के नाम पर एक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मुंबई में आयोजित इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में महान लीजेंडरी सिंगर अनूप जलोटा, पायनियर ऐड फिल्म मेकर प्रह्लाद कक्कर और सरस्वती बाई दादा साहेब फाल्के के पोते चंद्रशेखर पल्सावेकर भी उपस्थित थे जिन्होंने वर्ल्ड 2021 की 100 प्रतिष्ठित महिलाओं को ऑनलाइन संबोधित किया।सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता व कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने श्वेता को सम्मानित किए जाने के अवसर पर बधाई दी। श्वेता राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर की 50 से ज्यादा योग एवं आयुर्वेद के सेमिनार , वेबिनार एवं वर्कशॉप में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
दिनांक : 16 अप्रैल 2021
- 8 कोर्स में पीएचडी पाठ्यक्रम हेतु आवेदन
- बौद्ध अध्ययन, योग, भारतीय शिक्षा एवं समग्र विकास, चीनी भाषा
- सामान्य एवं पार्ट टाइम पीएचडी कोर्सेस
कोरोना के चलते इस बार पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है। आवेदन 23 अप्रैल तक भरे जा सकते हैं एवं 25 अप्रैल को लिखित परीक्षा हेतु योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। लिखित परीक्षा और इंटरव्यू की ताऱीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा। इस बार नियमित शोधार्थियों के साथ पार्ट टाइम में भी पीएचडी शोधार्थी आवेदन कर सकते हैं। विदेशी छात्रों, एनआरआई, पीआईओ, स्पॉन्सरशिप और फैलोशिप वाले शोधार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा से छूट रहेगी और वो सीधे इंटरव्यू में बैठेंगे।
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय भारतीय औऱ बौद्ध अध्ययन के साथ शिक्षा के अन्य पहलुओं पर गंभीर अध्ययन अध्यापन एवं शोध पर केंद्रित संस्थान है। पीएचडी छात्रों को देश-दुनिया के प्राध्यापक, विद्वान और विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
दिनांक : 14 अप्रैल 2021
- दलित, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक शब्द अंग्रेजों की देन
- डॉ आंबेडकर की ग्रंथावली का अध्ययन ज़रूरी
- बाबा साहब स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक स्वतंत्रता बताते थे
- महिलाओं को संपत्ति में अधिकार की पहल डॉ अम्बेडकर ने की थी
बाबा साहेब अंबेडकर की 130वी जयंती पर सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर कुलपति डॉक्टर नीरजा गुप्ता ने कहा कि अंबेडकर ग्रंथावली और उनकी लिखी डायरी पढ़ने से उनके विचार जानने को मिलेंगे। जिसके लिए ज़रूरी है कि मूल तक जाकर विचार खड़ा किया जाय।
उनका कहना था कि दलित शब्द अंग्रेज लेकर आए थे,अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक भी हमारे शब्द नहीं हैं बल्कि अंग्रेजों की देन हैं। जबकि बाबा साहेब ने तो वो पाबंदियां हटाने पर जोर दिया जिसे अंग्रेजों ने लगवाया था। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर भारतीयता के बड़े पैरोकार थे।
इस मौके पर संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ विश्वबंधु ने कहा कि डॉ अंबेडकर द्वारा संस्कृत को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने हेतु संविधान सभा समेत अन्य प्रयास किये गए थे।
बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश रोहित ने बताया कि डॉ अंबेडकर बचपन में संस्कृत ना पढ़ पाने से व्यथित थे।
भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ नवीन दीक्षित ने दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़कर समतामूलक समाज की स्थापना के प्रयासों पर दृष्टि डाली।
उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर ने महिलाओं को संपत्ति में समानता का अधिकार हेतु पहल की थी। उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक आजादी को बताते थे। उन्होंने अंग्रेजों के बनाये पैमाने पर सामाजिक भेदभाव का विरोध किया।
दिनांक : 14 अप्रैल 2021
- कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने की टीका लगवाने की अपील
- सांची, सलामतपुर और दीवानगंज में जागरुकता अभियान
- लोगों को टीका लगवाने हेतु समझाइश, टीका केंद्र पहुंचाया
विवि के मेडिकल स्टॉफ की अगुवाई में सांची, सलामतपुर और दीवानगंज के टीका केंद्रों में जागरुकता अभियान चलाया गया। इस दौरान ग्रामीणों की शंकाओं का समाधान किया गया एवं कोरोना से बचाव हेतु वैक्सीन के फायदे गिनाए। कुछ ग्रामीण अंधविश्वास के चलते टीका लगवाने के अनिच्छुक थे उनको समझाइश देकर वैक्सीन लगवाने हेतु प्रेरित किया गया।
विवि के समस्त स्टॉफ को मय परिवार, छात्रों और उनके परिजनों को वैक्सीन लगवाने हेतु पूर्व में ही निर्जा चुका है। विवि में अध्ययनरत सभी छात्रों को अपने -अपने परिजनों को जो टीका हेतु आयुसीमा में आते हैं उन्हें टीका लगवाने हेतु छात्रों को पहल करने की अपील की गई। सांची विवि लगातार टीकाकरण के प्रति जागरुकता फैलाने एवं वैक्सीन से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए मोबाइल टीम बनाकर विवि परिसर के आसपास के 12 गांव में कार्य कर रहा है। सांची विवि के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने भी पूरे कार्य की निगरानी और फील्ड पर व्यवस्था का जायजा लिया।
- “भारतीय राष्ट्रवाद” का यथार्थ “भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” से उत्पन्न
- हिन्दुत्व “एक जातीय, सांस्कृतिक और राजनैतिक” पहचान- डॉ सावरकर
- विचार करने की आवश्यकता कि हम गुलाम क्यों हुए-डॉ विश्वबंधु
आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम एवं हिंदू अस्मिता पर संगोष्ठी संपन्न हुई। आजादी के 75 साल के उत्सव के अंतर्गत 75 हफ्तें तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में डॉ विशवबंधु ने स्वतन्त्रता संग्राम में “हिन्दू अस्मिता-बोध” के महत्त्व को रेखांकित किया।
डॉ विशवबंधु ने स्वतत्रंता संग्राम में “हिन्दू अस्मिता-बोध” के महत्त्व को रेखांकित करते हुए बताया कि स्वतत्रता संग्राम ने अपनी संकल्पना “स्वदेशी राष्ट्रीय भावना” से ही प्राप्त की थी। “स्वदेशी राष्ट्रीय भावना” शब्द “भारतीय राष्ट्रवाद” को सन् ईस्वी 1789 में फ्रांसीसी क्रान्ति में सशक्त रूप से उभरे “राष्ट्रवाद” से पृथक् करती है। “भारतीय राष्ट्रवाद” का यथार्थ “भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” शब्द से प्रकट होता है । और इसी से ही “बृहत् भारत” की परिकल्पना मूर्त्त रूप लेती है ।
वीर विनायक दामोदर सावरकर के द्वारा सन् ईस्वी 1923 में “Essentials of Hindutva” पुस्तक में “हिन्दुत्व” की अवधारणा का प्रतिपादन किया । उनके द्वारा हिन्दुत्व को “एक जातीय, सांस्कृतिक और राजनैतिक” पहचान के तौर पर प्रतिपादित किया गया । हिन्दु राष्ट्रवाद का जो सर्वाङ्ग सम्पूर्ण दर्शन हमारे सामने वीर सावरकर ने रखा, उसके बीज 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में “हिन्दु पुनर्जागरण” में मिलते है ।
19 वीं शती में “हिन्दू अस्मिता” के उत्प्रेरक नभगोपाल मित्र, राजनारायण बसु, बंकिम चन्द्र चटर्जी तथा बाल-पाल-लाल की तिगडी की रचनाओं का जिक्र किया गया ।
वरिष्ठ वक्ता डॉ नवीन मेहता ने अखंड भारत की संकल्पना व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रभाकर पांडे ने किया।
03 अप्रैल 2021
- सांची विश्वविद्यालय में आज़ादी का अमृत महोत्सव
- राष्ट्र, हिंद स्वराज और अध्यात्म पर परिचर्चा
23-03-2021
- सांची विश्वविद्यालय में आज़ादी का अमृत महोत्सव
- स्वतंत्रता आंदोलन में नारों के महत्व पर परिचर्चा
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत शहीद दिवस मनाया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय में एक व्याख्यानमाला आयोजित कर देश की आज़ादी के अमर सपूतों- भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को याद किया गया। 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में बंद इन तीन देश के सपूतों को अंग्रेज़ों ने फांसी दे दी थी।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के सह प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता ने दिनांकवार आज़ादी की अमर गाथा को प्रस्तुत किया। डॉ मेहता ने अंग्रेज़ों के साथ लड़ी गई आज़ादी की लंबी लड़ाई के दौरान अलग-अलग राजनेताओं और क्रांतिकारियों द्वारा दिए गए नारों का ज़िक्र किया।
डॉ मेहता ने बताया कि ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ का नारा कहा से लिया गया था। इसी तरह से आज़ादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बंकिम चंद चटर्जी, गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर इत्यादि को याद किया गया। डॉ नवीन मेहता ने बताया कि कैसे इन नारों के द्वारा राजनेताओं द्वारा जनआंदोलन बनाया गया और इसने अंग्रेज़ों से लोहा लेने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया ।
अंग्रेज़ों भारत छोड़ो, करो या मरो, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा, सरफरोशी की तम्नना अब हमारे दिल में है, मारो फिरंगी को, स्वराज, विजयी ये विश्व तिरंगा प्यारा, वंदेमातरम इत्यादि नारों का ज़िक्र भी किया गया। इस मौके पर मध्य प्रदेश के वीर क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सैनानी चंद्रशेखर आज़ाद को भी याद किया गया।
पूरे देश के साथ-साथ मध्य प्रदेश सरकार भी आज़ादी के 75 वर्ष होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है। इसी तारतम्य में सांची विश्वविद्यालय में भी लगातार अभिभाषण व परिचर्रचाएं आयोजित की जा रही हैं।
17-03-2021
- महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारत शोध संस्थान
- स्टूडेंट, फैकल्टी, शोधार्थी के लिए होंगे आपसी एक्सचेंज प्रोग्राम
- एक दूसरे को सहयोग प्रदान करेंगे संस्थान
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा देश के दो नामी शिक्षण संस्थानों के साथ एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किया गया है। बिहार के मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय व गुजरात के अहमदाबाद स्थित भारत शोध संस्थान, सांची विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक व शोध के क्षेत्र में एक दूसरे को आपसी सहयोग प्रदान करेंगे। भोपाल में आयोजित सार्थक एडुविज़न नेशनल एक्सपो के दौरान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता व महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजीव कुमार शर्मा व भारत शोध संस्थान के प्रमुख के बीच ये आपसी एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किए गए।
इन एम.ओ.यू के तहत दोनों ही संस्थान सांची विश्वविद्यालय के साथ आपस में स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम, रिसर्च स्कॉलर एक्सचेंज प्रोग्राम, स्पॉनसर्ड पी.एच.डी, कोलेबोरेटिव प्रोजेक्ट्स समेत कई अन्य बिंदुओं पर परस्पर सहयोग करेंगे। डॉ. संजीव शर्मा ने एम.ओ.यू हस्ताक्षर के दौरान प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शोध और नवाचार के क्षेत्र में बेहतर कर पाने के अवसर प्राप्त होंगे।
भोपाल में आयोजित किए गए सार्थक एडुविज़न नेशनल एक्सपो में लगाए गए सांची विश्वविद्यालय के स्टॉल पर आज मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर भी पहुंचीं। स्टॉल में उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों से उन्होंने बातचीत कर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, व भारत शोध संस्थान के साथ किए गए एम.ओ.यू पर बधाई दी।
15-03-2021
- संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर ने किया लॉन्च
- यूजर एवं मोबाइल फ्रेंडली है नवीन वेबसाइट
- आज़ादी के अमृत महोत्सव श्रृंख्ला के तहत लोकापर्ण
विश्वविद्यालय वेबसाइट लोकार्पण अवसर पर मंत्री महोदया ने कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता को बधाई दी। कुलपति महोदया ने संस्कृति मंत्री को अवगत कराया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की वेबसाइट को अधिक से अधिक छात्रों एवं शिक्षा जगत तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे अंग्रेज़ी में तैयार किया गया है।
कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in का हिंदी संस्करण भी शीघ्र उपलब्ध होगा। इसके अलावा अन्य दक्षिण एशियाई देशों की भाषाओं में भी वेबसाइट के कंटेंट को उपलब्ध कराया जाएगा। विश्वविद्यालय की नई वेबसाइट में शोधार्थियों, छात्रों, शिक्षण, परीक्षा इत्यादि संबंधी समस्त जानकारी को अपडेट कर प्रस्तुत किया गया है।
नई वेबसाइट यूजर फ्रेंडली है और विश्वविद्यालय से संबंधित जानकारी के एकल स्रोत के रूप में कार्य करती है। यह वेबसाइट नवीनतम तकनीक पर आधारित है और इसे मोबाइल फ्रेंडली बनाया गया है।
दिनांक 12-03-2021
- गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा
- आजादी वैचारिक शक्ति, सहेजकर रखने की आवश्यकता
- विचार करने की आवश्यकता कि हम गुलाम क्यों हुए-डॉ विश्वबंधु
आजादी का अमृत महोत्सव सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक मनाया गया। वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस सिलसिले में 75 हफ्तें तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में विश्वविद्यालय ने गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की। सांची विश्वविद्यालय में अमृत महोत्सव का प्रारंभिक समारोह 12 मार्च से 15 मार्च तक मनाया जा रहा है और 15 मार्च को विश्वविद्यालय की नवीन वेबसाइट का लोकार्पण भी किया जाएगा।
वरिष्ठ वक्ता डॉ नवीन मेहता ने आजादी आंदोलन को स्वाभिमान और स्वालबंन से जोड़ने से गांधीजी के विचार पर प्रकाश डालते हुए दांडी यात्रा के विचार और परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि गांधीजी ने समझा कि नमक के लिए भी अंग्रेज देश को दूसरे देश पर निर्भर बनाकर देश को तोड़ना चाहते हैं। डॉ प्रभाकर पांडे ने अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 75 हफ्ते तक चलने वाले समारोह में आजादी के लिए लड़ने वाले शहीदों को याद करने के साथ आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए भारत का विजन भी प्रस्त किया जाएगा। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत की और दांडी यात्रा को हरी झंडी दिखाई।
डॉ विश्वबंधु ने स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये समारोह हमें इस बिंदु पर विचार का मौका देता है कि आखिर हम गुलाम क्यों हुए। उन्होने कहा कि देश की मिट्टी से हमें वैचारिक संस्कार प्राप्त होते है और आत्मनिर्भर हुए बिना विकास संभव नहीं है। डॉ नवीन दीक्षित ने दांडी मार्च और गांधीजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। डॉ देवेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर एकजुटता की आवश्यकता प्रतिपादित की। कार्यक्रम का संचालन डॉ रमेश रोहित ने किया।
08 मार्च, 2021
सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर कई आयोजन
- ग्राम बिलारा और बारला की महिलाओं संग मनाया महिला दिवस
- ग्रामीण महिलाओं के साथ शिक्षकों ने खेली म्यूज़िकल चेयर रेस
- तटस्थ होकर फैसले लेने से महिला सशक्त होंगी- डॉ. मोनिका शुक्ला, मुख्य अतिथि
- अपनी खोल से निकलकर ही नई ऊंचाइयां छू सकती हैं महिलाएं- डॉ. नीरजा गुप्ता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन महिलाओं की अगुआई में हुआ। महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रांगण के नज़दीक बसे गांव बिलारा व बारला की महिलाएं सम्मिलित हुई व कन्यापूजन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रायसेन की एस.पी डॉ मोनिका शुक्ला ने ‘महिला सुरक्षा व महिला सशक्तिकरण’ पर संबोधित किया।
डॉ शुक्ला ने कहा कि महिलाओं को सशक्त होने के लिए तथस्थ होकर फैसला लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं तभी सशक्त हो सकती हैं सकती हैं जब वे अपने ऊपर होने वाले आर्थिक, मानसिक व शारीरिक भेदभाव को रिपोर्ट करेंगी। डॉ शुक्ला ने छात्राओं व महिलाओं को सलाह दी कि कार्य व जीवन में बैलेंस(सम) आवश्यक है।
डॉ शुक्ला का कहना था कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में सप्ताह में एक बार काउंसलिंग का पीरियड होना चाहिए ताकि कोई भी छात्रा/महिला अपने ऊपर हुए दुर्रव्यहार को रिपोर्ट कर सके। उन्होने सलाह दी कि लड़कियों को बचपन से गुड टच, बेड के बारे में बताना चाहिए और माता पिता को बच्चियों के व्यवहार को समझना चाहिए।
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने उद्बोधन के द्वारा महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने इस वर्ष के ध्येय वाक्य - Choose to Challenge को साकार करने की आवश्यकता जताई। अपने उद्बोधन में उन्होंने पंजाब और बिहार की दो महिलाओं के साथ बीती सच्ची घटनाओं के ज़रिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अपने कंफर्ट ज़ोन(खोलों) से निकलना होगा ताकि वे आसमान की ऊंचाइयों को छू सकें। ग्राम बारला एवं बिलारा की महिलाओं ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
महाभारत में द्रोपदी चीरहरण के दृश्य पर कृष्ण व अर्जुन के बीच हुए संवाद का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि करुणा के माध्यम से ही धर्म का निर्वह्न हो सकता है। उन्होने कहा कि लक्ष्मण रेखा रावण के लिए बनी थी लेकिन कब वो सीता के लिए बन गई पता ही नहीं चला और मौजूदा दौर में हमें पुराने कथानकों का पुनः पाठ करने की आवश्यकता है। बिलारा ग्राम से आई हुई महिलाओं से उन्होंने कहा कि वे उन्हें सलाम करती हैं क्योंकि वे जीवन के अनुभवों से सीखती हैं।
कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता महिला दिवस पर उत्तराखंड के कुमाउं विश्वविद्यालय, गुजरात विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के समारोह में भी सम्मिलित हुई। सांची विश्वविद्यालय में आयोजित इस महिला दिवस कार्यक्रम में ही ग्राम बिलारा की महिलाओं एवं कन्याओं के साथ विश्वविद्यालय की महिला शिक्षकों व कर्मचारियों तथा छात्राओं ने म्यूज़िकल चेयर रेस का भी लुत्फ उठाया।
03 मार्च, 2021
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय को मिली यूजीसी की 12-बी मान्यता
- यूजीसी से विभिन्न मदों में वित्तीय अनुदान मिल सकेगा
- 2(F)के बाद सांची विश्वविद्यालय को मिली 12-B मान्यता
- यूजीसी एवं केंद्रीय संस्थाओं से अनुदान मिलने का रास्ता खुला
- अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में और मेहनत करेंगे-कुलपति
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से 12-बी की मान्यता प्रदान की गई है। 12-बी हेतु सांची विश्वविद्यालय के प्रस्ताव और उक्त संदर्भ में 16-17 जनवरी को यूजीसी विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर यूजीसी स्टेंडिंग कमेटी ने सांची विश्वविद्यालय को 12-बी जारी करने का निर्णय लिया। 18 फरवरी को यूजीसी की 550वीं बैठक में सांची विश्वविद्यालय को 12-बी मान्यता पर निर्णय हुआ।
सांची विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के नियम 12-बी की मान्यता प्राप्त होने से अकादमिक कार्यों, विभिन्न विभागीय शोध परियोजनाओं, नए अध्ययन केंद्र की स्थापना, विशेष अध्ययन पीठ हेतु आर्थिक सहायता मिल सकेगी। 12-बी एवं 2 एफ में पंजीकृत विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं को यूजीसी संगोष्ठी एवं समारोह, लाइब्रेरी, शिक्षण एवं आधारभूत संरचना जैसे अलग-अलग मदों में वित्तीय अनुदान देता है। यूजीसी के अलावा केंद्र की अन्य संस्थाओं से भी सांची विश्वविद्यालय को वित्तीय एवं अलग-अलग मदों में सहायता मिल सकेगी। यूजीसी द्वारा संचालित शोधसिंधु डेटाबेस का लाभ भी 12-बी प्राप्त होने से मुफ्त में मिल सकेगा। शोध सिंधु में देशभर में हो रही शोध परियोजनाओं एवं जर्नल्स का डेटाबेस है।
इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने हर्ष जताते हुए कहा कि सांची विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु और ज्यादा मेहनत करेगा। डॉ गुप्ता ने कहा कि 12-बी प्राप्त होने से विश्वविद्यालय में सुविधाओं और शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और कुलपति रहे श्री शिव शेखर शुक्ला को विशेष धन्यवाद देते हुए छात्रों, अध्यापकों एवं स्टॉफ को उपलब्धि के साथ जुड़ी चुनौतियों के लिए अभी से जुट जाने का आव्हान किया। कुलपति महोदया ने यूजीसी द्वारा सांची विश्वविद्यालय को जल्द से जल्द NAAC सर्टिफिकेट प्राप्त करने के पत्र पर कार्यवाही हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया है।
मध्य प्रदेश शासन संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत वर्ष 2012 में गठित सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय अकादमिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। बौद्ध एवं भारतीय दर्शन के विभिन्न आयामों पर गहन शोध एवं उच्चस्तरीय अध्ययन के उद्देश्य से स्थापित सांची विश्वविद्यालय ने स्थापना के बाद से ही शोध और पुरातन विषय़ों के अध्ययन अध्यापन में अनूठी पहचान बनाई है।
Sanchi University of Buddhist-Indic Studies gets 12-B accreditation of UGC
- Financial grants will be available from UGC in various items
- Sanchi University got 12-B accreditation after 2 (F)
- Will work harder to achieve slated objectives - VC
Sanchi University of Buddhist-Indic Studies has been included by University Grant Commission (UGC) under Section 12 (B) of UGC act, 1956. Based on the proposal of Sanchi University for 12-B and the recommendation made by the UGC Expert Committee on 16-17 January in the above context, the UGC Standing Committee decided to issue 12-B to Sanchi University. The 550th meeting of the UGC on February 18 decided on 12-B recognition for Sanchi University of Buddhist-Indic Studies.
With 12(B), Sanchi University has been declared fit to receive UGC grant as central assistance. UGC Under Secretary Dr. Naresh Kumar Sharma has sent a letter to the university informing about the decision. UGC provides financial assistance to only those universities, colleges which are in its list under section 12(B) of the UGC act ,1965. Now Sanchi University will be eligible to get financial assistance from UGC for minor/major research projects, organizing seminars, posts of teachers under various schemes, new study centers and other facilities. Apart from UGC, Sanchi University will also be able to get financial and other assistance from other institutions of the Center. The benefit of Shodsindhu database operated by UGC will also be available for free by getting 12-B. Shodsindhu has a database of research projects and journals taking place across the country.
Expressing happiness over this achievement, the Vice Chancellor of the University Dr. Neerja Gupta said that Sanchi University will work harder to achieve its objectives. Dr. Gupta said that getting 12-B will help in further improving the facilities and quality of education in the University. On this occasion, she extended special thanks to Shri Sheo Shekhar Shukla, Principal Secretary of the Department of Culture and called upon the students, teachers and staff to join hands for the challenges associated with this achievement. Madam Vice Chancellor has directed the authorities to take action on the letter from UGC to Sanchi University to get NAAC certificate as soon as possible.
Sanchi University of Buddhist-Indic Studies, formed in the year 2012 under the Ministry of Culture, Government of Madhya Pradesh, is heading towards academic excellence. Established for the purpose of in-depth research and high-level study on various dimensions of Buddhist and Indian philosophy, Sanchi University has made a unique mark in research and teaching of ancient subjects since its inception.
दिनांक 24.02.2021
विश्वविद्यालय बनेगा भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुआ- डॉ. नीरजा
- शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों से की भेंट
- 'भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुवा बनेगा विवि’
- ‘पढ़ाई के साथ-साथ कार्य की गुणवत्ता बढ़ानी होगी’
दिनांक 23.02.2021
डॉ. नीरजा गुप्ता ने संभाली सांची विश्वविद्यालय की कमान
- डॉ नीरजा गुप्ता ने कुलपति का पदभार किया ग्रहण
- जम्मू-कश्मीर संबंधी कार्यों की मुख्य निदेशिका रह चुकी हैं डॉ. गुप्ता
- गुजरात विवि के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की पूर्व सलाहकार
डॉ. नीरजा ए. गुप्ता ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया है। डॉ. गुप्ता ने भोपाल पहुंचकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय में पद संभाला। कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी व उपकुलसचिव श्रीमति वंदना जैन ने नवागत कुलपति महोदया का स्वागत कर पदभार ग्रहण की औपचारिकताएं पूर्ण कराईं।
सांची विश्वविद्यालय से पूर्व डॉ. नीरजा ए. गुप्ता गुजरात अहमदाबाद के खानपुर स्थित भारतीय विद्या भवन के आर.ए कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में प्रोफेसर व प्राचार्य के पद पर सेवाएं दे रही थीं।
डॉ. गुप्ता को गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों में मुख्य निदेशिका के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
डॉ. गुप्ता 2006 से 2012 तक अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की सलाहकार भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1992 में मेरठ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। वे हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, असमिया के अतिरिक्त उर्दू भाषा का भी ज्ञान रखती हैं। साथ ही साथ प्राकृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा में भी उन्हें महारथ हासिल है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ डॉ गुप्ता रूसी भाषा पर भी विद्वता रखती हैं और वे अकादमिक कार्यक्रमों हेतु 42 देशों की यात्राएं कर चुकी है। डॉ गुप्ता 16 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से भी जुड़ी हुई हैं।
दिनांक 22.02.2021
सांची विश्वविद्यालय की कुलपति बनीं डॉ नीरजा ए गुप्ता
- असमिया व उर्दु सहित 9 भारतीय भाषाओं की ज्ञाता
- संस्कृत के अतिरिक्त प्राचीन प्राकृत भाषा पर है महारथ
- अंग्रेज़ी के साथ-साथ रूसी भाषा पर भी रखती हैं विद्वता
- रामायण के विभिन्न संस्करणों पर कर चुकी हैं शोध
- गुजरात विवि के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की पूर्व सलाहकार
मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति आनंदी बेन पटेल ने डॉ. नीरजा ए. गुप्ता को सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है। म.प्र राजभवन से जारी आदेश में उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने से 4 वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने की दिनांक तक की गई है। डॉ. नीरजा गुप्ता वर्तमान में गुजरात अहमदाबाद के खानपुर स्थित भारतीय विद्या भवन के आर.ए पी जी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में प्रोफेसर व प्राचार्य हैं।
डॉ. गुप्ता 2006 से 2012 तक अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की सलाहकार भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1992 में मेरठ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। वे हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, असमिया के अतिरिक्त उर्दू में भी ज्ञान रखती हैं। साथ ही साथ प्राकृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा में भी उन्हें महारथ हासिल है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ डॉ गुप्ता रूसी भाषा पर भी विद्वता रखती हैं और वे अकादमिक कार्यक्रमों हेतु 42 देशों की यात्राएं कर चुकी है। डॉ गुप्ता 16 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से भी जुड़ी हुई हैं।
डॉ. नीरजा गुप्ता ने 2011 में रामायण के विभिन्न संस्करणों पर एक शोध परियोजना भी पूर्ण की है। डॉ. गुप्ता को 2011 में ही शिक्षा की व्यवसायिकता पर शिक्षा शोध परियोजना हेतु शिक्षा भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ था। 2013 में डॉ. गुप्ता द्वारा ‘प्रवासियों व विस्थापतों’ पर शोध परियोजना पूर्ण की गई थी। उन्हें 2002 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लीडरशिप इंस्टीट्यूट व लॉयन्स इंस्टीट्यूट का बेस्ट ग्रेजुएट पुरस्कार भी मिल चुका है।
हाल में आपको गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों में मुख्य निदेशिका के रूप में भी नियुक्त किया गया है।
सांची विश्वविद्यालय की साधारण परिषद द्वारा अनुशंसित नामों के पैनल में से राज्यपाल द्वारा डॉ. नीरजा ए गुप्ता को नियुक्ति प्रदान की गई है।
दिनांक 26 जनवरी, 2021
सांची विश्विद्यालय में 72वें गणतंत्र दिवस पर लहराया तिरंगा
18.01.2021
यूजीसी की टीम ने किया सांची विश्वविद्यालय का दौरा
- चार सदस्यीय विशेषज्ञ दल ने शिक्षकों और छात्रों से बातचीत की
- 3 वरिष्ठ प्रोफेसर और अनुदान आयोग के अधिकारी थे सम्मिलित
- सुविधाओं, छात्रवृत्ति, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के बारे में ली जानकारी
- सभी कर्मचारियों से भी की एक-एक कर मुलाकात
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यू.जी.सी की टीम सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय पहुंची। सांची विश्वविद्यालय को यू.जी.सी के 12(बी) श्रेणी में सम्मिलित किए जाने के उद्देश्य से यह 4 सदस्यीय टीम दो दिनों के लिए आई थी। इस टीम में 3 वरिष्ठ प्रोफेसर और एक यू.जी.सी के अवर सचिव स्तर के अधिकारी सम्मिलित थे। शनिवार और रविवार को टीम ने विश्वविद्यालय के रायसेन बारला स्थित अकादमिक परिसर में भ्रमण किया और प्रत्येक शिक्षक से अलग-अलग बातचीत कर अधोसंरचना, पाठ्यक्रमों, परीक्षा व्यवस्था, छात्रों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति, हॉस्टल सुविधा, कक्षाओं, लाइब्रेरी सुविधा, वाई-फाई, इंटरनेट, शोध के लिए आवश्यक जर्नल, ऑनलाइन कोर्सों, खेल इत्यादि के विषय में सीधे जानकारी ली।
कविकुल गुरु कालीदाससंस्कृत विश्वविद्यालय,रामटेक, महाराष्ट्र के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वेरखेड़ी की अध्यक्षता में सांची विश्वविद्यालय पहुंची टीम में बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की प्रमुख प्रो. पुष्पलता सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रो. के.टी.एस सराव और यू.जी.सी के समन्वयक अधिकारी के रूप में अवर सचिव डॉ. नरेश शर्मा शामिल थे।
यू.जी.सी की टीम ने विश्वविद्यालय के प्रत्येक हॉस्टल, क्लासों, ऑडिटोरियम, गेस्ट हाउस, मैस इत्यादि को देखा और विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों से बातचीत की। सांची विश्वविद्यालय के कुलपति व म.प्र शासन संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला, कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी से बातचीत कर विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भवन के बारे में बातचीत की और उसकी कार्ययोजना, बजट, म.प्र. सरकार से मिल रहे अनुदान इत्यादि के बारे में जानकारी ली।
यू.जी.सी के इस दल ने विश्वविद्यालय के कुछ पाठ्यक्रमों के बारे में सलाह भी दी। टीम के द्वारा बताया गया कि किन अन्य विषयों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। इस टीम ने विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारियों से भी एक-एक कर भेंट की और प्रत्येक के कार्य के विषय में जाना।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की इस टीम ने सांची विश्वविद्यालय के सलामतपुर स्थित प्रस्तावित परिसर का भी दौरा किया। म.प्र. सरकार द्वारा सांची विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए सलामतपुर में 120 एकड़ ज़मीन का आवंटन किया गया है। यू.जी.सी की टीम ने प्रस्तावित परिसर पर लगे बोधि वृक्ष के भी दर्शन किए। यह बोधि वृक्ष पौधे के रूप में 2012 में श्रीलंका तत्कालीन राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे साथ लेकर आए थे और उन्होंने इसे यहां लगाया था।
किसी भी विश्वविद्यालय के यू.जी.सी की 12(बी) सूची में सम्मिलित हो जाने पर उसे केंद्रीय सहायता प्राप्त होने लगती है।
11.01.2021
सांची विश्वविद्यालय की छात्रा को मिला आदर्श नारी सम्मान
- जोधपुर की अनंता योग संस्थान ने किया सम्मानित
- आयुर्वेद में पी.एच.डी कर रही हैं श्वेता नेमा
- विदिशा में नि:शुल्क योग सिखाती हैं श्वेता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की शोधार्थी श्वेता नेमा को राजस्थान, जोधपुर की अनंता योग एवं आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान ने आदर्श नारी सम्मान से सम्मानित किया है।
देश की प्रथम शिक्षिका श्रीमती सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती पर आयोजित किए गए इस सम्मान समारोह में श्वेता नेमा को सामाजिक कार्यों, स्वस्थ, स्वच्छ एवं शिक्षित समाज के निर्माण में सहयोग के लिए प्रदान किया गया है।
श्वेता नेमा सांची विश्वविद्यालय में आयुर्वेद विभाग में पी.एच.डी कर रही हैं। श्वेता विदिशा में वर्षों से नि:शुल्क योग की कक्षाएं एवं शिविर आयोजित रही हैं। दिसंबर 2019 में ही श्वेता नेमा ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। जोधपुर में ही श्वेता नेमा ने लगातार एक घंटे 10 मिनट तक पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास कर यह वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया था।
श्वेता पूर्व में भी हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की योग चैंपियनशिप स्पर्धा में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं।
07.01.2021
योग विज्ञान और फाइन आर्ट में प्रवेश हेतु आवेदन आमंत्रित
- ऑनलाइन आवेदन एवं ऑनलाइन इंटरव्यू के ज़रिए मिलेगा प्रवेश
- सांची विश्वविद्यालय ने जारी किए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम
- फाइन आर्ट और चीनी भाषा के पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रारंभ
- ऑनलाइनआवेदन करने की अंतिम तिथि 11 जनवरी, 2021
कोरोना के कारण सभी स्तरों पर छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। जैसे-जैसे हालात सामान्य होते जा रहे हैं। छात्रों का फोकस भी ऐसे पाठ्यक्रमों की ओर बढ़ गया है जिससे उनका वर्ष खराब न हो और ऐसी पढ़ाई की जाए जो जीवन जीने की कला सिखा दे।
मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा संचालित किया जाने वाला सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा योग साइंस में एम.एस.सी तथा फाइन आर्ट में मास्टर डिग्री के पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। खास बात ये है कि आवेदन करने वाले छात्रों को घर बैठे ही आवेदन हेतु इंटरव्यू देने होंगे।
सांची विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। भारतीय दर्शन, बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, योग विज्ञान, चीनी भाषा, भारतीय शिक्षा एवं समग्र विकास, अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत में एम.ए के पाठ्यक्रमों में प्रवेश आमंत्रित किए गए हैं।
इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए छात्रों को मात्र साक्षात्कार देना होगा। ऑनलाइन प्रवेश की अंतिम तिथि 11 जनवरी, 2021 है। ऑनलाइन इंटरव्यू 19 जनवरी, 2021 को आयोजित किए जाएंगे।
पात्रता मापदंड, प्रवेश प्रक्रिया, फीस, पाठ्यक्रम, साक्षात्कार, छात्रवृत्ति एवं अन्य जानकारी के लिए सांची विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर लॉगइन किया जा सकता है। प्रवेश संबंधी प्रश्नों के लिए admission@subis.edu.in पर ईमेल से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
Press Release - 2020
23.12.2020
‘गीता संपूर्ण विश्व के लिए उपयोगी ग्रंथ'- सांची विवि में संगोष्ठी
- ‘गीता, उपनिषद और रामचरितमानस को आमजन तक पहुंचाना आवश्यक’
- “भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का अनुशीलन” पर ऑनलाइन संगोष्ठी
- ‘युवा पीढ़ी गीता से जुड़कर अपना कल्याण कर सकती है'
- ‘व्यक्ति की पात्रता के अनुसार रास्ता बताती है गीता’
- ‘गीता में‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ के मार्गों में से कोई भी बड़ा या छोटा नहीं’
- ‘व्यक्ति अपने साधारण कर्मों के माध्यम से ही सिद्धि प्राप्त कर सकता है’
दिनांक 21.12.2020
गीता के ‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ योग पर होगी चर्चा
- सांची विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित
- 22 दिसंबर, 2020 को दोपहर 0200 बजे से 0330 बजे तक आयोजन
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा “भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का अनुशीलन ” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा ये ऑनलाइन संगोष्ठी कल यानी 22 दिसंबर 2020 को गूगल मीट पर दोपहर 0200 बजे से 0330 बजे तक आयोजित होगी।
अनुशीलन का अर्थ होता है ‘साधना’ या ‘अभ्यास’। इस ऑनलाइन संगोष्ठी में इस बात पर गहन चर्चा की जाएगी कि किस प्रकार से एक व्यक्ति के जीवन में ‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ दोनों का सामन्जस्य होना आवश्यक है और इसी सामन्जस्य से व्यक्ति पूर्ण होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
छ्त्तीसगढ़ – अंबिकापुर के श्रीरामकृष्ण विवेकानंद सेवा आश्रम के सचिव स्वामी तन्मयानंदजी गीता में उल्लेख किए गए ‘ज्ञान योग’ के माध्यम से जीवन में अभ्यास के गुणों पर चर्चा करेंगे। जबकि, कोलकाता स्थित रामकृष्ण मिशन, बेलूर मठ के स्वामी यज्ञधरानंदजी गीता में उल्लेखित ‘कर्मयोग’ के माध्यम से श्रोताओं/दर्शकों को बताने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार से इसका अभ्यास एक सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में कर सकता है।
इस ऑन लाइन आयोजन की अध्यक्षता सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं म.प्र शासन संस्कृति विभाग एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला करेंगे। आप सभी इस संगोष्ठी में आमंत्रित हैं। इस लिंक के माध्यम से आप ऑनलाइन संगोष्ठी में सम्मिलित हो सकते हैं-http://meet.google.com/qff-tyio-esq
प्रो. सागरमल जैन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई
- प्राकृत भाषा पर कार्यों के कारण मिला था राष्ट्रपति पुरस्कार
- सांची विश्वविद्यालय की साधारण एवं कार्यपरिषद के सदस्य थे
- 30 नवंबर को संथारा ग्रहण किया था
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में प्राकृत भाषा एवं जैन साहित्य के उद्भट विद्वान प्रो. सागर मल जैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। प्रो. सागरमल जैन को ‘गुरुओं के गुरु’ के रूप में जाना जाता था। 50 से अधिक जैन साधु-साध्वियों ने प्रो. सागरमल जैन के नेतृत्व में पी.एच.डी की थी। वे पाली और प्राकृत दोनों ही भाषाओं के ज्ञाता और विद्वान थे। सांची विश्वविद्यालय की परिकल्पना के समय से ही प्रो. सागरमल जैन विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे। वे विश्वविद्यालय की साधारण परिषद एवं कार्यपरिषद के सदस्य थे। प्राकृत भाषा पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका था।
प्रो. सागरमल जैन की श्रद्धांजलि सभा में सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव, अधिष्ठाता, सभी प्राध्यापक और अन्य अधिकारी-कर्मचारी सम्मिलित हुए। इस शोक अवसर पर कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अपनी वृद्धावस्था के बाद भी विश्वविद्यालय संबंधी किसी भी कार्य के लिए प्रो. सागरमल जैन सक्रिय रूप से अपना सहयोग प्रदान करते थे। वे ज्ञान, शोध और पठन-पाठन के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए इतने अधिक आतुर होते थे कि प्रत्येक शोधार्थी को पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराते थे। विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री संतोष प्रियदर्शी का कहना था कि विश्वविद्यालय के पाली भाषा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित विभिन्न ग्रंथों के अध्ययन में यदि विभाग के शिक्षकों को किसी भी प्रकार की परेशानी उतपन्न होती थी तो वो प्रो. सागरमल जैन जी से फोन पर ही उसका समाधान उनसे पूछ लेता था। प्रो. जैन ने कई किताबें और शोध पत्र व लेख लिखे हैं जो ऑनलाइन sagarmaljain e-pustkalay पर उपलब्ध हैं।
88 वर्ष के प्रो. सागरमल जैन ने अस्वस्थता के चलते 30 नवंबर को संथारा ग्रहण किया था।
- सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा ऑनलाइन सेमिनार आयोजित
- स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर नागरिकों का निर्माण करेगी नई शिक्षा नीति
- ज्ञान-समाज का पथ प्रदर्शन होगा नई शिक्षा नीति से
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय मानस का वि-औपनिवेशिकरण विषय पर ऑनलाइन सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार में डॉ हरिसिंह गौर सागर के दर्शनशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. अंबिका दत्त शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति ही भारतीयों को भारतीयता की जड़ों में बांधे रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। उनका कहना था कि यह दरअसल वि-औपनिवेशीकरण है क्योंकि अपनी जड़ों से अलग हो जाना औपनिवेशिकरण होता है।
डॉ शर्मा का कहना था कि यह नई शिक्षा नीति सीखने, करने और होने को प्रोत्साहित करती है तथा इससे स्वतंत्र एवं आत्मिर्भर नागरिकों का निर्माण संभव होगा। उनका कहना था कि यह मानविकी और विज्ञान के विषयों कोआपस में जोड़कर परिपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करती है। डॉ. अंबिका दत्त शर्मा ने कहा कि यह त्रि-भाषा फॉर्मूले के द्वारा भाषा की समस्या को हल करती है। इसमें मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा एवं राष्ट्रभाषा की शिक्षा एवं समाज में क्रमबद्ध भूमिका है। यह शिक्षा नीति व्यक्ति को भारत के सांस्कृतिक इतिहास, राष्ट्र एवं भाषा से जोड़कर उसके विखंडन को रोककर वि-औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया को सुदृण करती है।
इस ऑनलाइन सेमिनार में विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने कहा कि इस शिक्षानीति से ज्ञान-समाज का पथ प्रदर्शन होगा और राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों का आश्रय लेकर प्रगति करेगा।
सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन सेमिनार में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. ओ.पी. बुधोलिया ने विषय प्रवर्तन में व्यक्तिके निर्माण को शिक्षा का उद्देश्य निरूपित किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सरोजिनी महाविद्यालय भोपाल के दर्शनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक प्रो. प्रदीप खरे ने इस शिक्षा नीति को फलात्मक दृष्टि से अधिक उपयोगी माना। उनका कहना था कि इस नई शिक्षा नीति से उन लोगों को बड़ा लाभ होगा जो किसी कारण से बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं वे बाद में इसे पूर्ण कर सकते हैं।
दिनांक 05.09.2020
'कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या ही शिक्षा है'
- सांची विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस का आयोजन
- नई शिक्षा नीति पर शिक्षकों ने रखे अपने विचार
सांंची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बेहद सादगी से शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। नई शिक्षा नीति के संदर्भ में आयोजित किए गए इस शिक्षक दिवस कार्यक्रम पर कोविड-19 का प्रभाव दिखाई दिया। छात्रों के बगैर विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने नई शिक्षा नीति से जोड़कर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय दर्शन के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने विष्णु पुराण में उल्लेख किए गए श्लोक के माध्यम से बताया कि शिक्षा दरअसल कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या है। उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण के इस श्लोक के अनुसार सर्वश्रेष्ठ कर्म वह है जो बंधन में न डाले और सर्वश्रेष्ठ विद्या वह है जिससे मुक्ति की प्राप्ति हो। डॉ दीक्षित ने ज्ञान के तीन आयामों - श्रवण, मनन और विद्यासन का भी ज़िक्र किया।
27.08.2020
‘अपना पाठ्यक्रम स्वयं तय कर सकें छात्र’
- प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग ने किया विश्वविद्यालय का दौरा
- सांची विश्वविद्यालय के नए सत्र के लिए जारी किए पाठ्यक्रमों के बारे में जाना
- श्री शिव शेखर शुक्ला ने किया विश्वविद्यालय का दौरा
- ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर, 2020
मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया। श्री शिव शेखर शुक्ला ने कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी के साथ विश्वविद्यालय परिसर के भ्रमण के दौरान छात्रों तथा शिक्षकों से विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और सुविधाओं की जानकारी ली। श्री शुक्ला ने छात्रावास, मैस, गेस्टहाउस, आवासीय क्वार्टर्स की व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया।
विश्वविद्यालय के छात्रों से मुलाकात के पश्चात प्रमुख सचिव और विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति श्री शुक्ला ने केंद्रीय लाइब्रेरी में पुस्तकों के बारे में जानकारी ली। उन्होने विश्वविद्यालय प्राध्यपकों के साथ बैठक में अकादमिक गतिविधियों और विश्वविद्यालय द्वारा प्रारंभ किए गए नए पाठ्यक्रमों के बारे में जाना।
विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक सत्र 2020-21 की प्रवेश सूचना जारी की गई है और ऑनलाइन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 21 सितंबर है। ऐसे में छात्र प्रवेश की प्रक्रिया, पीएचडी कोर्स के लिए गाइडलाइन्स इत्यादि के बारे में लगातार प्रश्न कर रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा योग विज्ञान और भारतीय शिक्षा और समग्र विकास के दो पाठ्यक्रम अकादमिक सत्र 2020-21 से प्रारंभ किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और प्रवेश के संबंध में कहा कि ऐसे प्रयास किए जाएं कि अधिक से अधिक छात्र ऑनलाइन प्रवेश के माध्यम से वि.वि के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लें। शिक्षकों के साथ की गई बैठक में श्री शुक्ल ने विश्वविद्यालय के विभन्न पाठ्यक्रमों को interdisciplinary बनाए जाने पर ज़ोर दिया। उनका कहना था कि किसी भी विश्वविद्यालयीन छात्र को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपनी रुचि के अनुसार अपना पाठ्यक्रम स्वयं ही तय कर सके। ऐसे में छात्र का मन पढ़ाई में लग सकेगा और भविष्य में वह अपने द्वारा चयनित विषयों पर आगे अपना करिअर तय कर सकता है। उन्होंने कहा कि मास्टर डिग्री में ही इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने की कार्रवाई की जाए। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता श्री ओ.पी बुधोलिया एवं अन्य प्राध्यापकों ने आश्वासन दिलाया कि अगले प्रवेश सत्र से interdisciplinary विषयों के तहत ही एडमिशन प्रक्रिया की जाएगी।
21.08.2020
भारतीय शिक्षा के माध्यम से होगा समग्र विकास
- ·सांची विश्वविद्यालय ने जारी किए दो नए पाठ्यक्रम
- ·योग विज्ञान और भारतीय शिक्षा व समग्र विकास के पाठ्यक्रम
- ·सांची विश्वविद्यालय ने जारी की ऑनलाइन प्रवेश सूचना
- ·ऑनलाइनआवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर, 2020
अगर आप ‘योग विज्ञान’ में मास्टर डिग्री कोर्स करना चाहते हैं तो ये आपके लिए सुनहरा मौका हो सकता है....और यदि आप अपने अंदर भारतीयता से परिपूर्ण एक संपूर्ण व्यक्तित्व विकसित करना चाहते हैं तो आपके लिए ‘भारतीय शिक्षा और समग्र विकास’ का पाठ्यक्रम फायदेमंद साबित हो सकता है।
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय ने मास्टर डिग्री, एम.फिल शिक्षा हासिल करने के लिए दो नए पाठ्यक्रम जारी किए हैं। इन पाठ्यक्रमों और अन्य दूसरे पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा। भारतीय शिक्षा और समग्र विकास में मास्टर डिग्री के अलावा एक वर्ष का पीजी डिप्लोमा का पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है।
सांची विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई प्रवेश सूचना 2020-21 में भारतीय दर्शन, बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, संस्कृत, चीनी भाषा, इंडियन पेंटिंग, हिंदी, अंग्रेज़ी और पाली भाषा एवं साहित्य के पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं।
पाली भाषा एवं साहित्य के पाठ्यक्रम के माध्यम से आप बौद्ध काल में पाली भाषा में लिखे गए ग्रंथों का अध्ययन करने में सक्षम हो सकते हैं।
सांची विश्वविद्यालय द्वारा जारी पाठ्यक्रमों में छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स और एक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स भी हैं। भारतीय चित्रकारी में यदि आपकी रुचि है तो आप इंडियन पेंटिंग्स में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट(एम.एफ.ए) का कोर्स भी कर सकते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु छात्र 21 सितंबर 2020 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। छात्रों को मेरिट के आधार पर एम.ए, एम.फिल, एम.एस.सी, एम.एफ.ए पाठ्यक्रम में मात्र साक्षात्कार के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। साक्षात्कार 29 एवं 30 सितंबर को आयोजित होंगे।
हालांकि पी.एच.डी के इच्छुक छात्रों को प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार दोनों में सम्मिलित होना होगा। पात्रता मापदंड, प्रवेश प्रक्रिया, फीस, पाठ्यक्रम, साक्षात्कार, छात्रवृत्ति एवं अन्य जानकारी के लिए सांची विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर लॉगइन किया जा सकता है। प्रवेश संबंधी प्रश्नों के लिए admission@subis.edu.in पर ईमेल से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
दिनांक 16 अगस्त, 2020
सांची विश्विद्यालय में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस समारोह
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय मेंं कोविड -19 के संपूर्ण प्रोटोकॉल के तहत स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय के डीन और अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ओ.पी. बुधोलिया ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रात: 8 बजे विश्वविद्यालय प्रांगण में ध्वजारोहण किया। केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कोविड-19 को लेकर स्वतंत्रता दिवस के आयोजन समारोह को लेकर जारी की गई गाइडलाइन के साथ कर्मचारी 2 मीटर से अधिक की भौतिक दूरी के साथ खड़े हुए और तिरंगे को फहराया गया।
दिनांक 04 अगस्त, 2020
‘गुरुकुल शिक्षा की प्रथम सीढ़ी मातृकुल है’
- ‘मां से ही बच्चा सबसे पहले शब्द बोलना सीखता है’
- ‘समसामयिक विषयों को भी संस्कृत में पढ़ाया जाए’
- सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा ऑनलाइन आयोजन
- 3-4 अगस्त 2020 को संस्कृत सप्ताह का यूट्यूब पर किया गया लाइव प्रसारण
- बैंगलोर एवं त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलपति थे मुख्य वक्ता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा 03 तथा 04 अगस्त को द्विदिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। “गुरुकुल परम्परा : आदर्श शिक्षा पद्धति का अन्वेषण” विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला के पहले दिन मुख्य वक्ता के रूप में स्वामिविवेकानन्द योगानुसन्धान विश्वविद्यालय, बेङ्गलेरू के कुलपति प्रो. रामचन्द्र भट्ट ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा का प्रथम सोपान मातृकुल है। माता से ही बालक सर्वप्रथम वर्ण-उच्चारण की शिक्षा पाता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय, अगरतला, त्रिपुरा के कुलपति प्रो. सत्यदेव पोद्दार ने संस्कृत साहित्य की बृहत् परम्परा को श्रोताप् के सामने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष साँची विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अदितिकुमार त्रिपाठी रहे। श्री त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में संस्कृत भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
04 अगस्त को श्री दिनेश कामत, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सङ्घटन मन्त्री ने मुख्य वक्ता के रूप वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की उपयोगिता विषय पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में श्री कामत ने संस्कृत भारती द्वारा देश-विदेश में चलाये जा रहे आनलाइन संस्कृत सम्भाषण वर्गों की विस्तृत जानकारी दी। व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में समसामयिक विषयों को भी संस्कृत में पढ़ाने की नीति पर जोर दिया। सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्कृति, जल एवं खाद्यान्न मन्त्रालय के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ल ने संस्कृत ज्ञान परम्परा का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के संचालक डॉ. विश्व बन्धु ने संस्कृत में परस्पर सम्भाषण को सुलभ बनाने हेतु साँची विश्वविद्यालय के द्वारा चलाये जाने वाले पाठ्यक्रमों से श्रोताओं को अवगत कराया ।
भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन् 1969 से ही केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. विश्व बन्धु ने बताया कि संस्कृत दिवस से पहले तीन दिन और दिवस से बाद वाले तीन दिन मिलाकर “संस्कृत सप्ताह” का आयोजन किया जाता है। दोनों ही व्याख्यानों को यूट्यूब चैनल पर रिकॉर्डिंग के रूप में देखा जा सकता है।
दिनांक 01 अगस्त, 2020
“गुरुकुल परंपरा-आदर्श शिक्षा पद्धति की खोज” पर व्याख्यान आयोजित
- नई शिक्षा नीति के तारतम्य में रोचक व्याख्यान
- सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा ऑनलाइन आयोजन
- सांची विश्वविद्यालय में3-4अगस्त 2020 को संस्कृत सप्ताह का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण
- बैंगलोर एवं त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलपति होंगे मुख्य वक्ता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस उपलक्ष में 3-4 अगस्त, 2020 को विश्वविद्यालय के यूट्यूब चैनल पर दो दिवसीय व्याख्यानमाला लाइव आयोजित होगी। केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई है। इसी तारतम्य में व्याख्यानमाला के प्रथम दिवस 3 अगस्त को “गुरुकुल परंपरा-आदर्श शिक्षा पद्धति की खोज” विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान देंगे प्रो. रामचंद्र कोठमने। प्रो. कोठमने, बैंगलोर के स्वामी विवेकानंद योगानुसंधान विश्वविद्यालय के कुलपति हैं तथा भारतीय शिक्षा मंडल के गुरुकुल प्रकल्प के प्रमुख भी हैं। प्रात: 11 बजे लाइव आयोजित होने वाले इस व्याख्यान में त्रिपुरा- अगरतला के वीरविक्रम विश्वविद्यालय के प्रो. सत्यदेव पोद्दार भी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित इस व्याख्यानमाला के द्वितीय दिवस यानी 4 अगस्त 2020 को “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की प्रासंगिकता” विषय पर दिल्ली की संस्था संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कामत प्रमुख वक्ता होंगे। इस विषय पर धर्मशाला के हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री भी अपने उद्गार प्रस्तुत करेंगे। इस द्वितीय दिवस के सत्र के अध्यक्ष सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला होंगे जबकि 3 अगस्त, 2020 को आयोजित होने वाले व्याख्यान के अध्यक्ष सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं संस्कृति संचालनालय के संचालक श्री अदिति कुमार त्रिपाठी होंगे। द्वितीय दिवस भी सत्र प्रात: 11 बजे लाइव प्रसारित किया जाएगा।
आप व्याख्यान को लाइव देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। https://www.youtube.com/channel/UCflYxaf4m_bnL6wmWnVH-eg
इस लिंक के माध्यम से इन विषयों पर आप अपने विचार भी लिख कर साझा कर सकते हैं।
दिनांक 21 जून, 2020
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ऑनलाइन आयोजन
- सांची विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने किया समापन
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सात दिवसीय विश्व योग दिवस का आज समापन हुआ। छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शिव शेखर शुक्ला द्वारा विशेष उद्बोधन दिया गया। उन्होंने समत्वम योग उच्यते एवं योगा कर्मसु कौशलम के माध्यम से समस्त श्रोता गण से अपनी जीवनशैली में योग को अपनाने का आव्हान किया।
सप्त दिवसीय ई-कार्यशाला में सामूहिक रूप से विश्व योग दिवस का ऑनलाइन कार्यक्रम में विभाग अध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉ शाम गणपत तिखे के निर्देशन मे भारत सरकार के योग प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हुए योगाभ्यास किए गए।योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने वर्तमान जीवन शैली में योग की उपयोगिता पर विशेष ध्यान दिया एवं योग की मूल भावना को पुनः प्रतिष्ठित रखने का विचार रखा। उन्होंने अपने व्याख्यान के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत के विषय में कहा कि पहले हम स्वयं आत्मनिर्भर बने जब हम स्वयं आत्मनिर्भर होंगे तभी हम दूसरों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर सकने में सक्षम होंगे। उन्होंने बताया कि योग सिर्फ आसन प्राणायाम ध्यान इत्यादि ही नहीं है बल्कि योग अपने जीवन में अपनाने की कला है।
योग एवं आयुर्वेद विभाग ने आज से 6 दिनों पूर्व में योगिक जीवन शैली कोरोना के साथ भी कोरोना के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉक्टर शाम गणपति के साथ विभाग के वरिष्ठ शोधार्थी उमाशंकर कौशिक, लोकेश चौधरी, धनंजय जैन, एवं अखिलेश विश्वकर्मा, नीलू विश्वकर्मा, श्वेता नेमा, अरविंद यादव, प्रशांत खरे, रवि यादव सजन आदि विद्यार्थियों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किये गए। इसके साथ साथ सायंकालीन विशिष्ट व्याख्यान की श्रंखला में कुछ विशेष विद्वानों के मत अपनों से अपनी बात के अंतर्गत रखे गए। अपनों से अपनी बात में प्रथम व्याख्यान अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के मनीषी चिंतक एवं साधक श्रीमान वीरेश्वर उपाध्याय जी का व्याख्यान संपन्न हुआ। जिन्होंने व्यावहारिक जीवन में सद्गुणों को धारण करने हेतु महत्वपूर्ण सूत्रों में योगाभ्यास, स्वाध्याय (अच्छे ग्रंथों का अध्ययन), उपासना (सद्गुणों की धारणा), साधना (संयम) और आराधना (सेवा) से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त कर स्वयं एवं समाज को सहयोगी बनने का सारगर्भित उपदेश दिया।
16/6/20 को स्वामी आत्म श्रद्धानंद जी का विशेष उद्बोधन संपन्न हुआ। स्वामी जी कानपुर, रामकृष्ण मिशन के सन्यासी हैं। जिन्होंने अपने उद्बोधन में समाज में व्याप्त दु:ख, भय और संकट के समाधान हेतु मार्ग दर्शन दिया।
तीसरे दिन 17/6/20 को प्रो. इंदुमती काटदरे जी ने बताया कि हमें अपनी भारतीय संस्कृति और भारतीय शिक्षा पद्धति को किस प्रकार भूलते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति और शिक्षा पद्धति की उपयोगिता और विशिष्टता को बताते हुए सभी को अपनी संस्कृति और शिक्षा की तरफ वापस जाने का आवाहन किया। साथ ही वर्तमान की वैज्ञानिक और यांत्रिकी शिक्षा पद्धति से भी परिचित होने की बात की। अंत मे योग किस प्रकार इसमे सहयोगी हो सकता है इसका महत्व समझाया। चौथे दिन 18/6/20 को श्री अभय महाजन जी का विशिष्ट उद्बोधन हुआ। नाना देशमुख जी के साथ रहकर राष्ट्र निर्माण में अपना संपूर्ण समय और श्रम दिया। महाजन जी ने राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को वहन करने का आवाहन किया। वर्तमान में स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग की उपयोगिता को बताते हुए सभी को स्वदेशी की दिशा में संकल्पित किया।
पांचवा दिन 19/6/20 को महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के. बी. पांडे जी का उद्बोधन संपन्न हुआ। जिसमें उन्होंने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अनुभव सांझा किए। 20/6/20 को श्री नंदलाल मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में वर्तमान की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस तरह कोरोना वायरस की वजह से लोगों में भय और मानसिक रोग उत्पन्न हो रहे हैं। रोगों के संदर्भ में आपने साइकोसोमेटिक, न्यूरोटिक और साइकोसोमेटिक रोगों कि संभावनाओं को अधिक बताया है। डायबिटीज, बीपी, पेप्टिक अल्सर आदि रोगों का कारण साइकोसोमेटिक बताया है।
वैश्विक संकट का कारण मानवों काअहंकार
- धर्म मनुष्य को मनुष्य बनाने का तत्व है
- फेसबुक लाइव पर प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल का व्याख्यान
- सांची विश्वविद्यालय द्वारा कराया जा रहा है लाइव व्याख्यान का आयोजन
- भारतीय जीवन मूल्य- धर्म, अर्थ और मोक्ष है
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के वैकल्पिक शिक्षा विभाग द्वारा 11 जून, 2020 गुरुवार को फेसबुक लाइव पर “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” की लेक्चर सीरीज़ के तहत 20वां लेक्चर आयोजित किया गया। ‘भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्य’ विषय पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने व्याख्यान प्रस्तुत किया।
फेसबुक लाइव के माध्यम से ये व्याख्यान आयोजित किया गया। प्रो. शुक्ला का कहना था कि संस्कृति एक गत्यात्मक अवधारणा है जिसकी पहचान किया जाना आवश्यक है। उनका कहना था कि संस्कृति जीवनमान भूजैविक अवधारणा है, मनुष्य कृत नहीं है संस्कृति यह चिद्विलास है। उनका कहना था कि आनंद की उपलब्धि के लिए सोदेश्य सभ्यता संस्कृति है।
प्रो. शुक्ला का कहना था कि भारत में मूल्य की अवधारणा है। उनका कहना था कि धर्म उपासना नहीं है,यह मनुष्य को मनुष्य बनाने का तत्व है। सर्वोत्तम मूल्य ऋण से मुक्ति है।
उनका कहना था कि आज के वैश्विक संकट के पीछे मानवों का अहंकार है जिसने अपने सामने प्रकृति को तुच्छ समझनेकी भूल की। भारतीय जीवन मूल्य पुरुषार्थ के हिसाब से जीना है जो धर्म, अर्थ और मोक्ष है।
सांची विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किए जा रहे इन व्याख्यान को फेसबुक लाइव पर देखा जा सकता है। इन लेक्चरों को देखने के लिए कृपया https://www.facebook.com/sanskriti.vimarsh/ लिंक पर क्लिक करें।
लाइव स्ट्रीम होने के बाद लेक्चर और “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत आज दिनांक तक प्रस्तुत किए गए समस्त लेक्चर देखे जा सकते हैं।
दिनांक 09.06.2020
भारतीय संस्कृति को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर है कोरोना काल
- प्रकृति का सम्मान करना सिखा रहा है कोरोना काल
- मनुष्य को अपने सामाजिक और सांस्कृतिक दायित्व समझने होंगे
- सांची विश्वविद्यालय द्वारा फेसबुक लाइव पर व्याख्यानमाला आयोजित
- डॉ आशा शुक्ला, कुलपति, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय महू का व्याख्यान
- फेसबुक लाइव पर 19वां व्याख्यान बुधवार प्रात: 11 बजे
ऐसे समय में जब पूरा विश्व कोरोना वायरस से प्रभावित है...स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में क्लासेस नहीं चल पा रही हैं। तब शिक्षा जगत से जुड़े तमाम लोग यह प्रयास कर रहे हैं कि छात्र ज्ञान हासिल करने में पिछड़ न जाएं। तकनीक और मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए ऑनलाइन क्लासेस, लेक्चर, वेबिनार इत्यादि आयोजित किए जा रहे हैं।
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय भी ऐसी ही कोशिशें कर रहा है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन क्लासेस आयोजित की जा रही हैं। शिक्षा जगत और बौद्ध तथा भारतीय दर्शन से जुड़े कई विषयों पर वेबिनार, व्याख्यानमालाएं आयोजित हो रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के वैकल्पिक शिक्षा विभाग द्वारा 09 जून, 2020 मंगलवार को फेसबुक लाइव पर “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” की लेक्चर सीरीज़ के तहत 18वां लेक्चर आयोजित किया गया। ‘अकादमिक आधारित सामाजिक दायित्व बोध’ विषय पर मध्य प्रदेश के मऊ स्थित डॉ. बी.आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ आशा शुक्ला द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ शुक्ला का कहना था कि विश्व के सभी मनुष्य समान हैं और कोरोना वायरस ने सभी को समान रूप से प्रभावित किया है। उनका कहना था कि कोरोना काल ने हमें यह सिखाया है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना होगा। कोरोना ने हमें सांस्कृतिक और सामाजिक दायित्व निर्धारित करने का रास्ता बताया है। प्राकृतिक संतुलन, मनुष्य का मनुष्य के प्रति व्यवहार संबंधी शिक्षा पूर्व से ही भारतीय संस्कृति में समाहित है।
डॉ शुक्ला का कहना था कि कोरोना ने भारत के प्रत्येक नागरिक को ये मौका उपलब्ध कराया है कि वो भारतीय संस्कृति से पूरी दुनिया के लोगों को उन सभी माध्यमों से अवगत कराएं जो आज उपलब्ध हैं।
“भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत सांची विश्वविद्यालय द्वारा कल यानी बुधवार 10 जून, 2020 को प्रात: 11 बजे फेसबुक लाइव पर “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यालयी शिक्षा का द्वंद” विषय पर गया स्थित दक्षिणी बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता और विभागध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस व्याख्यान को फेसबुक लाइव पर देखने के लिए कृपया https://www.facebook.com/sanskriti.vimarsh/ लिंक पर क्लिक करें।
लाइव स्ट्रीम होने के बाद यह लेक्चर और “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत आज दिनांक तक प्रस्तुत किए गए समस्त लेक्चर देखे जा सकते हैं।
दिनांक 06.03.2020
“सम्मान करो क्योंकि महिला पहले एक इंसान है”
- सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर आयोजन
- कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने किया कविता पाठ
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर विश्वविद्यालय की महिला अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने नाट्य प्रस्तुति दी और कविता को चित्रकारी के माध्यम से भी प्रस्तुत किया।
चीनी भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि विश्व की हर महिला का सम्मान सिर्फ इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि वो एक महिला है बल्कि इसलिए होना चाहिए क्योंकि वो महिला से पहले एक इंसान है और इंसान-इंसान में फर्क नहीं किया जाना चाहिए।
महिला दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय की डॉक्टर अंजलि दुबे ने अपनी कविता“तुम विविध रूप धरने वाली, विष सोख सुधा करने वाली” का पाठ किया। डॉ. रितु श्रीवास्तव ने स्वरचित कविता“बुद्धिमत्ता का झंडा मैं गाड़ूं और बन जाऊं मनीषी” की प्रस्तुति दी। छात्राओं ने नाटक “बेटी है तो कल है ” विषय पर नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा आशना आसिफ ने अपनी मां वंदना आसिफ की लिखी कविता के आधार पर पेंटिंग को तैयार किया और उसे चित्र के रूप में कविता पाठ के दौरान प्रस्तुत किया। छात्रा मुस्कान और अंजलि ने सत्यमेव जयते के पारंपरिक गीत “ओ री चिरैया” को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय की नर्स श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने अपनी कविता ”जन्म देने के लिए मां चाहिए” सुनाई। श्रीमती चंद्रवंशी ने बताया कि 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में महिलाओं की संख्या 48.2 और पुरुषों की संख्या 51.8 प्रतिशत है। छात्र पुल्कित दीक्षित ने “ये माटी सभी की कहानी कहेगी” गीत पर प्रस्तुती दी।
विश्वविद्यालय के योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ एस. के तिखे ने धर्मेंद्र कुमार निवातियां की लिखी कविता ‘सबला नारी’ को प्रस्तुत किया। अंग्रेज़ी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता ने अपनी प्रकाशित कविता“मां की चपातियां” सुनाकर सभी को भावुक कर दिया। महिला दिवस पर भारतीय चित्रकारी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुष्मिता नंदी ने “परिचय और पहचान जो खो जाए” सुनाई।
योग विभाग के छात्र प्रशांत खरे ने भी बुंदेली में अपनी कविता सुनाई। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के डीन डॉ ओ.पी बुधोलिया ने झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई......महाभारत की हिडिंबा का वर्णन कर नारी शक्ति पर चर्चा की।
दिनांक 10.02.2020
‘सकारात्मक सोच से ही दूर होता है अवसाद’
- सांची विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान का अयोजन
- तनाव दूर करने के लिए बताए योग के कई आसन
- ‘मेडिटेशन और श्वास नियंत्रण तनाव दूर करने में कारगर’
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ओम नारायण तिवारी ने “तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए योग” विषय पर अपना व्याख्यान केंद्रित किया। इस व्याख्यान में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक और अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुए।
डॉ ओम तिवारी ने बताया कि आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग अपने शरीर और मन-मस्तिष्क में तनाव ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में योग बेहद कारगर हो सकता है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को ध्यान करने के तरीके बताए और कुछ छोटी-छोटी टिप्स बताईं।
डॉ तिवारी का कहना था कि सिटिंग जॉब्स करने वाले लोग भी तनाव वो दूर करने के लिए अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही एक दो आसन कर सकते हैं। उनका कहना था कि आंखें खोलकर भी मेडिटेशन किया जा सकता है और बीच-बीच में ब्रीदिंग एक्सरसाइज़(सांसों पर नियंत्रण)कर तनाव को दूर कर सकते हैं। उनका कहना था कि लोगों को प्रत्येक दिन अपने स्वयं के लिए आधे घंटे समय निकालना चाहिए जिसमें वो योग करें जिससे तनाव को दूर किया जा सकता है।
अवसाद को दूर करने के लिए उनका कहना था कि व्यक्ति को चाहिए कि वो सभी के लिए अपनी सोच को सकारात्मक रखे और अपने आप को प्रकृति से जोड़ कर रखे।
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ ओ.पी बुधोलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
दिनांक 30.01.2020
छात्रों ने अपनी मेहनत से बनाई सांची विश्वविद्यालय की योग शाला
- मात्र प्राकृतिक संसाधनों का किया गया उपयोग
- योग शाला की छत घास-फूस से बनाई गई
- फर्श को मिट्टी पर गोबर लीपकर किया तैयार
- वसंत पंचमी के मौके पर किया गया उद्घाटन
- गांव-गांव जाकर योग सिखाएगी सांची विवि की टीम
- गांधी जी को भी किया गया याद
- “कर्मयोगी थे गांधी जी”
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में योग विभाग के छात्रों द्वारा तैयार की गई योग शाला का उद्घाटन किया गया। इस योग शाला की खास बात यह है कि इसे अधिकांश प्राकृतिक चीज़ों से तैयार किया गया है। योग विभाग के सभी छात्रों ने इस योग शाला में अपने हाथों से घास के माध्यम से छत को बनाया, फर्श को गोबर और मिट्टी से लीपा और बौद्ध चबूतरे को तैयार किया।
योग शाला के दरवाज़े बांस और लकड़ी से, परिसर की चार दीवारी नारियल की रस्सी और खजूर(छींद) के पत्तों से तैयार की गई है। बौद्ध योग केंद्र की दीवारें बल्लियों से और इसकी भी छत घास से तैयार की गई है। ध्यान और योग क्रियाओं के दौरान मच्छर-मक्खी परेशान न करें इसके लिए बारीक नेट लगाई गई है।
योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने बताया कि छात्रों ने इस योग शाला के निर्माण के बाद यह कार्ययोजना बनाई है कि वे गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को योग सिखाएंगे। डॉ खत्री के अनुसार ऐसे प्रयास किए गए कि कम से कम खर्च और प्राकृतिक संसांधनों से...प्राकृतिक वातावरण वाली प्रयोगशाला बने।
वसंत पंचमी और गांधी जी की पुण्य तिथि के मौके पर आयोजित किए गए इस उद्घाटन कार्यक्रम में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ राहुल सिद्धार्थ ने बताया कि कैसे हिंदी साहित्य में वसंत का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि हिंदी साहित्य की शुरुआत 1000 ईसवीं से हुई थी। तब से ही वसंत ऋतु का ज़िक्र हिंदी साहित्य में मिलता आ रहा है। उनका कहना था कि 16वीं शताब्दी में पद्मावत के लेखक मलिक मोहम्मद जायसी ने भी अवधी में किए गए अपने लेखन में वसंत का ज़िक्र किया है। इसी तरह से भारतेंदु, नज़ीर अकबराबादी, सुभद्रा कुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत, हज़ारी प्रसाद द्विवेदी और विद्या निवास मिश्र ने अपनी कविताओं में वसंत का उल्लेख किया है।
योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने बताया कि गांधीजी भी योग किया करते थे। उनका कहना था कि गांधी जी कर्म योग के योगी थी। डॉ खत्री ने बताया कि आचार्य श्रीराम शर्मा, महात्मा गांधी जी के पास योग सीखने गए थे। उन्होंने सुबह 4 बजे उठकर जानने का प्रयास किया कि गांधी जी किस प्रकार से योग साधना करते हैं। तीन-चार दिवस बाद जब उन्होंने पाया कि गांधी सुबह उठकर कोई योग नहीं करते हैं तो उन्होंने गांधी जी से इस बारे में बात की। गांधी जी ने उन्हें अगली सुबह उनके साथ उठकर चलने के लिए कहा। अगली सुबह गांधी जी ने सुबह अपने हाथों से अपने टॉयलेट-बाथरूम को साफ किया। इस पर आचार्य श्रीराम शर्मा को कोई योग जैसी बात समझ में नहीं आई। तब उन्होंने दोबारा गांधी जी से बात की। गांधी जी ने उनसे इसी प्रक्रिया को करने को कहा। आचार्य श्रीराम शर्मा कहते हैं कि तीन दिन बाद उन्हें गांधी जी की कर्मयोग की साधना का अर्थ समझ में आया।
दिनांक 27.01.2020
सांची विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण
- “छात्र भारत की साझा संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाएं”
- “छात्रों ने ली संविधान की शपथ”
- ‘बुद्ध की शिक्षाओं का गहन अध्ययन आवश्यक’
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में 71वां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया गया। गणतंत्र दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. ओ. पी बुधोलिया ने ध्वजारोहण किया। प्रात: 9 बजे आयोजित किए गए ध्वजारोहण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं कर्मचारी मौजूद थे। अधिष्ठाता डॉ. बुधोलिया ने सभी छात्र-छात्राओं से कहा कि वे विश्वविद्यालय की पढ़ाई के साथ-साथ भारतीय संविधान का भी गहन अध्ययन करें।
डॉ बुधोलिया ने छात्रों से कहा कि वे हमारे देश की साझा संस्कृति और भारतीय परंपरा को पूरे विश्व में फैलाने का प्रयास करें। उनका कहना था कि छात्रों को चाहिए कि वे स्वयं भी भारतीय परंपरा का अध्ययन करें और इन्हें व्यवहारिक रूप से अपने जीवन में उतारें ताकि अपने वचन और कर्म दोनों से विश्व के उन सभी लोगों को प्रभावित कर सकें जिन तक इस परंपरा को पहुंचाया गया है।
ध्वजारोहण के उपरांत अंग्रेज़ी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता और बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ मुकेश वर्मा ने सभी छात्रों को संविधान के प्रति आस्था की शपथ- ‘हम भारत के लोग’ दिलाई।
सांची विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रण श्री विश्जीत झारिया ने भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं को बधाई दी। उनका कहना था कि विश्व शांति की स्थापना कि लिए आवश्यक है कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का गहनता से अध्ययन किया जाए और इन्हें विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
दिनांक 16.01.2020
इतालवी शोधार्थी का हिंदी में व्याख्यान
- ब्रजभाषा में प्रबोधचंद्रम के ब्रजवासी दास के अनुवाद पर शोध
- शांतिनिकेतन में पढ़ाई कर रहीं है रोसीना पास्तोरे
- 11वीं सदी के संस्कृत नाटक प्रबोधचंद्रम पर शोध
- बॉलीवुड फिल्म देखकर हुईं हिंदी से प्रभावित
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में इतालवी (Italian) शोधार्थी ने ब्रजभाषा में शोध पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। रोसीना पास्तोरे स्विटज़रलैंड के लूज़ेन विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग में शोधार्थी हैं और इसी विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट असिस्टेंट के तौर पर कार्य करती हैं। रोसीना वर्तमान में विश्व भारती शांति निकेतन के भारतीय दर्शन विभाग में पी.एच.डी पूर्ण करने के लिए एक साल के लिए आई हैं, जिन्हें शांति निकेतन का हिंदी विभाग अपना पूरा सहयोग प्रदान कर रहा है।
रोसीना पास्तोरे ने ब्रजवासीदास की ‘ब्रजभाषा’ के माध्यम से “प्रबोधचंद्रम के अनेक रूप और स्त्रोत” पर सांची विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्राध्यापकों और छात्रों, विशेषकर हिंदी विभाग के छात्रों के समक्ष अपना व्याख्यान केंद्रित किया। रोसीना पास्तोरे, संस्कृत में लिखे गए प्रबोधचंद्रम में दर्शन के पक्ष को ढूंढने का प्रयास कर रही हैं।
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से आयोजित किए गए इस व्याख्यान में रोसीना पास्तोरे ने बताया कि उन्होंने अपने अब तक के शोध में यह पाया है कि ब्रजवासीदास के द्वारा लिखे नाट्य प्रबोधचंद्रम पर संस्कृत में लिखे गए भरतमुनि के नाट्य का प्रभाव न होकर तुलसीदास की रामचरित्रमानस का अधिक प्रभाव है।
ग्यारहवीं सदी में संस्कृत में लिखे गए प्रबोधचंद्रम को ब्रजवासीदास ने 17वीं शताब्दी में व्याख्यायित किया है। रोसीना का कहना है कि ब्रजवासीदास ने दरअसल ब्रज भाषा में ही प्रबोधचंमद्र को व्याख्यायित किया है क्योंकि उस दौर में ब्रज हिंदी का ज़ोर था। हिंदी भाषा भी संस्कृत से होते पहले ब्रज भाषा बनी और उसके बाद हिंदी भाषा बनी।
रोसीना हिंदी से अपने हाईस्कूल के दौर में प्रभावित हो गई थीं जब उन्होंने एक बॉलीवुड फिल्म देखी थी। उनका यह हिंदी प्रेम बढ़ता चला गया और उन्होंने नेपल्स विश्वविद्यालय, इटली से हिंदी भाषा में बी.ए करने के बाद एम.ए किया। हिंदी भाषा की चाहत उन्हें भारत खींच लाई। वो 2012 में भारत आईं और उसके बाद उन्होंने भारत में ही किसी विश्वविद्यालय से पी.एच.डी करने का फैसला किया। अपनी पी.एच.डी पूर्ण करने के लिए वो 2018 में एक बार फिर भारत आईं हैं।
शांतिनिकेतन से हिंदी की पढ़ाई करने पर वे गर्व महसूस करती हैं। रोसीना पास्तोरे का कहना है कि भारत के लोग भी उसी तरह से सरल और सहज हैं जिस तरह से वो इटली या दुनिया के अन्य किसी देश के लोगों को सरल पाती हैं।
सांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागध्यक्ष डॉ राहुल सिद्धार्थ का कहना है कि प्रबोध का अर्थ होता है अभ्युदय(awakening) और इसी प्रबोध से समाज में समरसता आती है, सौहार्द आता है। सांची विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ओ.पी बुधोलिया ने सांची स्तूप पर केंद्रित क़िताब Monuments of Sanchi रोसीना पास्तोरे को भेंट की और उनके द्वारा हिंदी में व्याख्यान के साथ-साथ दर्शन के पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
Press Release - 2019
दिनांक 08-03-2019
- “हर पुरुष के अंदर होता है मां की ममता का तत्व”- डॉ मेहता
- “महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं संवेदनाएं चाहिए”- सुश्री अदिति गौड़
- “महिला और पुरुष से पहले इंसान होना ज़रूरी”- डॉ प्राची अग्रवाल
- “महिला को सामान्य मनुष्य की भांति देखा जाना चाहिए”- डॉ रितु श्रीवास्तव
- “महिला को उसके विचार और बौद्धिकता से आंका जाए”- नेहा सैनी
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्रों और शिक्षकों द्वारा महिला कर्मचारियों का सम्मान एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने सभी महिला कर्मचारियों और छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम में डीन डॉ नवीन कुमार मेहता ने मातृशक्ति की महत्ता और व्यक्तित्व विकास में मां की भूमिका पर बात रखी।
चीना भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि हमें महिला और पुरुषों के मध्य विभेद नहीं करना चाहिए क्योंकि हम सब इंसान हैं और हमें इंसान बनने की ज़रूरत है। श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा पर जोर देते हुएकहाकि पुरुष शिक्षित होता है तो सिर्फ एक पीढ़ी को शिक्षित कर सकता है लेकिन एक महिला शिक्षित होती है तो वो कई पीढ़ियों को शिक्षित कर देती है।
विश्वविद्यालय की सहायक निदेशक(प्रदर्शनी) सुश्री अदिति गौड़ ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं बल्कि संवेदनाएं चाहिए क्योंकि दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को सशक्त करने से समाज सशक्त होगा और इस प्रकार देश सशक्त होता है।
इंडियन पेंटिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुष्मिता नंदी ने बताया कि दुनिया के प्रत्येक मनुष्य में 51 अनुपात 49 में महिला और पुरुष अथवा पुरुष और महिला के तत्व पाए जाते हैं। चिकित्सा शाखा की डॉ अंजलि दुबे ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं एवं छात्राओं से अपील की, कि महिलाएं किसी भी पद पर जाएं वे बस अपनी सहजता बनाए रखें।
चिकित्सा शाखा की ही डॉ रितु श्रीवास्तव ने कहा कि शिव के बिना शक्ति नहीं और शक्ति के बिना शिव नहीं। उनका कहना था कि महिला एक सामान्य मानक है वह दूसरा जेंडर नहीं है जैसा की पुरुष को प्रथम जेंडर बताया जाता है। डॉ श्रीवास्तव ने महिला दिवस पर एक कविता भी प्रस्तुत की।
विश्वविद्यालय के सभी विभागों से एक-एक छात्रा को मौका दिया गया कि वो महिला दिवास पर अपने विचार प्रकट करें। योग विभाग की छात्रा नेहा सैनी ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बुद्धि, मन और मस्तिष्क की शुद्धता होनी चाहिए। नेहा ने कहा कि महिलाओं को उनके रंग और रूप से न आंका जाए बल्कि विचार और बौद्धिकता के आधार पर उनका आंकलन किया जाए।
अंग्रेज़ी विभाग की छात्रा मुस्कान सोलंकी ने सांची विश्वविद्यालय की सर्वप्रथम कुलपति डॉ शशि प्रभा कुमार और संस्कृत विभाग की पूर्व डीन डॉ. सुनंदा शास्त्री को भी महिला दिवस के मौके पर याद किया। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने जीबी शॉ के नाटक के माध्यम से बताया कि कैसे नाटक की महिला पात्र अपने निर्बल पति का सहयोग कर उसे आत्मसम्मान से जीना सिखाती है। इसी प्रकार से उन्होंने महिला सशक्तिकरण का चरित्र चित्रण करने वाले हैंडी गिब्सन के नाटक “A Dolls House”का ज़िक्र भी किया।
दिनांक 27-02-2019
- सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से किया संवाद
- विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों से भी की बातचीत
- मध्य प्रदेश के भ्रमण पर हैं नागालैंड छात्रों की टीम
- नागालैंड के विभिन्न पॉलीटेक्निकों का है यह छात्र दल
- प्रदेश की संस्कृति और इतिहास के विषय में जाना
नागालैंड के 12 छात्रों ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत ये छात्र 25 से 28 फरवरी तक मध्य प्रदेश के भ्रमण पर हैं। उत्तर पूर्व राज्य के इन छात्रों को प्रदेश के ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों में ले जाया जा रहा है। इसी कड़ी में नागालैंड के विभिन्न पॉलीटेक्निकों से चयनित ये 12 छात्र और दो प्राध्यापक सांची विश्वविद्यालय पहुंचे थे।
इन छात्रों ने सांची विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ संवाद किया और एक दूसरे की संस्कृति के बारे में जाना। ये छात्र पॉलीटेक्निक के विभिन्न विभागों में पढ़ाई करते हैं। इनमें सिविल इंजीनियरिंग, फूड टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस इत्यादि विषय में पढ़ाई करने वाले छात्र हैं। कंप्यूटर साइंस विभाग के छात्र Jessi(जेसी)ने बताया कि नागालैंड में दरअसल 16 विभिन्न जनजातियां रहती हैं। इन सभी की अपनी भाषा और अपनी संस्कृति है। जिन्हें मूल रूप से नागा जनजाति(Naga Tribes) के नाम से जाना जाता है। सांची विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग में पढ़ाई कर रहे ITBP (भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस) के जवान टी मयारसंग ने विश्वविद्यालय के बारे में नागालैंड छात्रों को बताया। टी मयारसंग मिज़ोरम के रहने वाले हैं और वे भी नागा जनजाति से हैं।
सांची विश्वविद्यालय में नागालैंड के इन छात्रों का स्वागत अधिष्ठाता डॉ नवीन मेहता ने किया। नागालैंड के इन छात्रों ने विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी में भी कुछ समय बिताया। इन छात्रों की रुचि संस्कृत, बौद्ध दर्शन के विषय की किताबों में दिखाई दे रही थी। छात्रों ने इन विषयों की पुस्तकों में जिज्ञासा प्रदर्शित की। इन सभी ने काफी खुलकर सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत की और मध्य प्रदेश की संस्कृति तथा सांची विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों के विषय में जानकारी ली।
नागालैंड के छात्रों और शिक्षकों ने सांची विश्वविद्यालय के उद्यान के भ्रमण किया और फूलों से भरे बाग का आनंद उठाया और विश्वविद्यालय कैंपस में लगे बेर के पेड़ों से खट्टे-मीठे बेर तोड़कर भी खाए। विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे विएतनाम, थाइलैंड, नेपाल और अन्य देशों के विदेशी छात्रों के साथ भी बातचीत कीऔर विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के बारे में उत्सुकता से जानकारी ली।
नागालैंड के इन छात्रों को मध्य प्रदेश सरकार के विशेष अतिथियों की तरह राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ठहराया गया है। विश्वविद्यालय के भ्रमण के बाद इन छात्रों को सांची स्तूप भी ले जाया गया। नागालैंड के इन छात्रों ने संवाद के दौरान बताया कि भोपाल के बड़े तालाब में क्रूज़ की राइड के दौरान इन लोगों ने जमकर मस्ती की।
दिनांक 04-02-2019
- सांची विश्वविद्यालय में आई.आई.टी दिल्ली के प्रो. त्रिपाठी का विशिष्ट व्याख्यान
- बुद्ध की शिक्षाओं से ही विश्वशांति संभव
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में “शिक्षा और विचार में स्वावलंबन” विषय पर आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर वीके त्रिपाठी का विशिष्ट व्याख्यान हुआ। आई.आई.टी दिल्ली के फिज़िक्स विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि पिछले 300 सालों में धरती को सबसे ज्यादा नुकसान विज्ञान ने ही पहुंचाया है। बुद्ध और गांधी के विचारों से प्रभावित प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि विज्ञान ने भले ही नए आयाम पैदा किए, उत्पादन बढ़ाया,स्वास्थ्य और संचार बढ़ाया लेकिन विज्ञान की तकनीकों के कारण दो वर्ल्ड वॉर और बाद में कई देशों में लाखों लोग मारे गए ।
एडम जोन्स की किताब ‘जिनोसाइड’ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में अंग्रोज़ों के शासन से पहले अकाल नहीं पड़ता था क्योंकि किसान, मज़दूर के पास हुनर था। अंग्रेज़ों ने आकर देश के लोगों को वैज्ञानिक तकनीक सिखाने के नाम पर बेरोज़गार बना दिया। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों के भारत आने से पहले देश में सौहार्द था, लोग एक दूसरे के सुख-दुख में खड़े होते थे लेकिन 1857 की क्रांति के बाद ही अंग्रेज़ों ने देश में विभाजन के बीज बोने शुरू कर दिए थे।
अपने विशिष्ट व्याख्यान में गांधीवादी विचारक प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि देश के 88 प्रतिशत बच्चे विश्वविद्यालय स्तर तक की पढ़ाई तक पहुंच ही नहीं पाते। ऐसे में विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्रों को चाहिए कि वो अपने ज्ञान को उन लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें जिन तक ज्ञान पहुंचा ही नहीं। प्रो.
वी.के त्रिपाठी ने कहा कि बुद्ध ने 2500 साल पहले कहा था कि अगर आपके पास सत्य है तो इसको हथियार बनाते हुए जनविरोधी कार्यों को रोकने का भरसक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त विश्व में शांति के दूत गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर शोध और अध्ययन से भारत विश्व को शांति का मार्ग दिखा सकता है। प्रो त्रिपाठी के मुताबिक सभी धर्मों के मूल पर अध्ययन कर अगर साझा विरासत पर शोध की जाए तो शांति को पुन: स्थापित करने के प्रयास हो सकते हैं।
प्रो. त्रिपाठी पूरे देश में सद्भावना मिशन चलाते हैं और लोगों के बीच गांधीवादी विचारों को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। सद्भावना मिशन प्रत्येक रविवार को एक ही दिशा के 4-4 गावों तक मोबाइल लाइब्रेरी के माध्यम से पहुंचते हैं और मुफ्त में गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए पुस्तकें भेंट करते हैं। अगले 15 दिनों में टीम दोबारा उसी गांव में पहुंचती है और पुरानी पुस्तकों के बदले नई पुस्तकें पढ़ने के लिए देती है।
सांची विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित इस विशिष्ट व्याख्यान में सम्राट अशोक इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रो. के.के पंजाबी ने विदिशा की 81 वर्ष पुरानी सार्वजनिक लाइब्रेरी का उदाहरण भी दिया जहां मात्र 200 रुपए प्रतिमाह पर लोग ज्ञानार्जन कर रहे हैं।
दिनांक 26-01-2019
- छात्रों ने बताया कैसे बन सकता है भारत विश्व शांति का अग्रदूत
- अधिष्ठाता डॉ मेहता ने छात्रों को बताया संविधान के सम्मान का महत्व
- सभी क्षेत्रों में शोधों के माध्यम से ही तरक्की कर सकता है भारत- डॉ मेहता
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्यन विश्वविद्यालय में 70वे गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया गया। रायसेन, बारला स्थित विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता डॉक्टर नवीन मेहता ने तिरंगा फहराया। ध्वजारोहण के बाद छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। डॉ मेहता ने इस मौके पर उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों और छात्रों को संविधान की एहमियत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों को एक समान और एक बराबर होने का दर्जा देता है। डॉ नवीन मेहता ने कहा कि छात्रों को चाहिए कि वे अपनी उच्च शिक्षा और शोध के माध्यम से नई-नई खोजें करें ताकि हमारा राष्ट्र विज्ञान, यांत्रिकी, चिकित्सा और दर्शन के क्षेत्र में पूरे विश्व में सबसे आगे रह सके।
विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन और भारतीय दर्शन पर पीएचडी तथा एमफ़िल कर रहे छात्रों ने दर्शन के विषयों पर की जा रही विभिन्न शोधों के विषय में बताया। बौद्ध दर्शन से पीएचडी कर रहे छात्र उमाशंकर ने बताया कि कैसे बौद्ध और भारतीय दर्शन के विषयों को आधार बनाकर की जाने वाली शोधों के ज़रिए भारत पूरी दुनिया में विश्व शांति का अग्रदूत बन सकता है।
विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के छात्रों ने राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दी। विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी और कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने छात्रों और कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी।
दिनांक 14-01-2019
इंडियन पेंटिंग विभाग से पी.एच.डी कर रहे हैं भारत जैन और स्नेहलता मिश्रा
- - दिल्ली अधीनस्थ चयन बोर्ड में पीजीटी शिक्षक चयनित
- - कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने दी दोनों छात्रों को बधाई
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिग विभाग से पीएचडी कर रहे दो छात्रों का चयन दिल्ली में बतौर पेंटिंग शिक्षक हो गया है। भारत कुमार जैन और स्नेहलता मिश्रा, सांची विश्वविद्यालय से पी.एच.डी कर रहे हैं। दिसंबर 2018 में DSSB- Delhi Subordinate Selection Board की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले भारत व स्नेहलता को सांची विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने बधाई दी है।
बनारस की रहने वाली स्नेहलता मिश्रा ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर इन फाइन आर्ट्स(एम.एफ.ए) किया है जबकि भारत जैन, खैरागढ़ विश्वविद्यालय से एम.एफ.ए में गोल्ड मैडलिस्ट है। स्नेहलता मिश्रा का चयन जुलाई 2018 में यूजीसी के जे.आर.एफ(जूनियर रिसर्च फैलोशिप) के लिए हुआ है। जे.आर.एफ के लिए यूजीसी 30 हज़ार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप देता है।
वहीं, विदिशा के रहने वाले भारत कुमार जैन ने AIFACS (All India Fine Arts & Craft Society, New Delhi) द्वारा आयोजित चित्रकारी का राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीता था और इस पुरस्कार के तौर पर उन्हें 25 हज़ार रुपए नगद की पुरस्कार राशि प्राप्त हुई थी। भारत कुमार का पूर्व में भी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के लिए चयन हो चुका है। वे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हो चुके हैं तथा प्रफुल्ल धनकर केंद्रीय ज़ोन अवार्ड के लिए भी चयनित किए जा चुके हैं।
दोनों छात्रों को अगस्त-सितंबर तक पदभार ग्रहण करना है। DSSB की यह परीक्षा पूर्णत: बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित परीक्षा होती है जिसमें BFA ग्रेजुएट परीक्षार्थी TGT के लिए व MFAपोस्ट ग्रेजुएट परीक्षार्थी PGT के लिए सम्मिलित हो सकते हैं। इंडियन पेंटिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुष्मिता नंदी ने बताया कि भारत जैन व स्नेहलता मिश्रा ने पीजीटी व टीजीटी के लिए परीक्षा दी थी।
- - अधिकारियों/कर्मचारियों से की मुलाकात, विवि को आगे बढ़ाने का दिया संदेश
- - राज्य शासन के परामर्श पर राज्यपाल ने दिया प्रभार
संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती रेनू तिवारी ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया। सांची विवि पहुंची श्रीमती तिवारी को कुलसचिव श्री अदितिकुमार त्रिपाठी से विवि की शैक्षणिक व प्रशासनिक गतिविधियों से अवगत कराया।विवि के अधिकारियों, कर्मचारियों को संबोधित करते हुए श्रीमती तिवारी ने सांची विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कराने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात की। उन्होने कहा कि सांची विवि को भारत की धरोहर और संस्कृति को दुनियाभर में प्रचारित करने का कार्य भी करना है जिससे उच्च श्रेणी के छात्र व विद्वान विवि से जुड़ सके। कुलपति महोदया ने अधिकारियों, कर्मचारियों को विवि के उद्देश्यों के अनुरुप कार्य करने और दुनियाभर से छात्रों एवं विद्वानों को आकर्षित करने का आव्हान किया।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति श्री यजनेश्वर शास्त्री की 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने से श्रीमती रेनू तिवारी को कुलपति का प्रभार दिया है। राजभवन से आदेश जारी होने के उपरांत श्रीमती तिवारी ने विवि में पदभार ग्रहण किया।
Press Release - 2018
- 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र थे प्रो. रियोजुन
- गौतम बुद्ध पर दो किताबें “द महाबोधि टैम्पल एट बोधगया’ और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है
- छात्रों को बताया कैसे तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा था बौद्ध दर्शन
- 86 वर्ष के हैं प्रो. रियोजुन सातो
जापान की राजधानी टोक्यो के ताइशो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रियोजुन सातो ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया.....86 साल के प्रो. रियोजुन सातो एमेरिटस Emeritus (ससम्मान सेवानिवृत्त) प्रोफेसर हैं और वे टोक्यो जापान के रहने वाले हैं। उन्होंने 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के दूसरे बैच से पढ़ाई की है।
प्रो. रियोजुन सातो मध्य प्रदेश के विभिन्न बौद्ध मंदिरों, मठों, स्थलों और स्तूपों का दौरा कर रहे हैं। अपने दौरों की इसी कड़ी में वे सांची स्तूप भी पहुंचे। स्तूप दर्शन के बाद वे सांची विश्वविद्यालय पहुंचे और उन्होंने विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग पहुंचकर छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की और अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे बौद्ध दर्शन तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा। उन्होंने सांची विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को बताया कि वे प्रयास करेंगे कि जापान में बौद्ध अध्ययन से संबंधित विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर सांची विश्वविद्यालय ज्ञान साझा करें। प्रो. सातो विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी भी पहुंचे।
प्रो. रियोजुन सातो ने भगवान बुद्ध से जुड़े भारत के लगभग सभी स्थलों का गहन पुरातात्विक अध्ययन किया है। वे अपनी इस यात्रा के दौरान बादामी, विजयनगर, अंजता-एलोरा, गुजरात और कश्मीर के उन स्थानों पर भी जा चुके हैं जहां पर बौद्ध स्थल स्थापित हैं। उन्होंने गौतम बुद्ध पर दो पुस्तकें – “द महाबोधि टैम्पल एट बोध गया” और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है। वे इन दिनों भगवान बुद्ध से संबंधित कई कहानियों पर गहन शोध कर रहे हैं।
प्रो. सातो इंटरनेशनल बुद्धिस्ट ब्रदरहुड एसोसिएशन, बोधगया और असम के बोर्ड मैंबर तथा बंगाल बुद्धिस्ट एसोसिएशन, कोलकाता के पैटरन भी हैं।
- - विभिन्न विभागों में पहुंचे और पाठ्यक्रमों के बारे में जाना
- - कश्मीर के 6 विभिन्न ज़िलों से आए हैं छात्र
- - मध्य प्रदेश के लोग सरल, शांतिप्रिय और मिलनसार”- कश्मीरी छात्र
- - मध्य प्रदेश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों पर जाएंगे ये छात्र
- - सांची स्तूप का भी किया भ्रमण
- - वाल्मी संस्था और नेहरू युवा केंद्र करा रही है भ्रमण का आयोजन
कश्मीर के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने वाले 135 छात्रों ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। इन छात्रों ने सांची विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मेल-मुलाकात कर एक दूसरे की संस्कृति, शिक्षा व्यवस्था, कोर्सेस और संस्थाओं के बारे में जानकारी हासिल की। ये कश्मीरी छात्र 6 दिनों के मध्य प्रदेश भ्रमण पर हैं। अपनी यात्रा के तीसरे दिन इन छात्रों ने आज सांची विश्वविद्यालय से पहले सांची स्तूप का भ्रमण किया। सांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने भी कशमीरी छात्रों का उत्साह बढ़ाया। सांची विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में पी.एच.डी कर रहे कशमीरी छात्र अशरफ वानी ने कशमीरी भाषा में छात्रों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों के बारे में बताया।
कश्मीर के 6 अलग-अलग ज़िलों से मध्य प्रदेश पहुंचे इन छात्रों ने अपने अनुभव सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से साझा किया। पीजी के छात्र शाहिद वानी ने बताया कि मध्य प्रदेश के लोग बेहद ही सरल हैं और वे जहां भी गए पूरे प्रेम और स्नेह से उनका स्वागत किया गया। एक और छात्र इमरान का कहना था कि मध्य प्रदेश के लोग सरल, शांतिप्रिय, सम्मान देने वाले और सहयोग देने वाले हैं।
नेहरू युवा केंद्र द्वारा आयोजित किए गए इस टूर में कश्मीरी छात्रों को प्रदेश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों का दौरा कराया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस टूर की ज़िम्मेदारी IIFM अंतर्गत WALMI संस्था को सौंपा है। वाल्मी के अधिकारी इन कश्मीरी छात्रों को भ्रमण करा रहे हैं।
इन कश्मीरी छात्रों ने सांची विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्सेस के बारे में जानने के लिए उत्साह दिखाया। कई छात्रों का कहना था कि वे उच्च शिक्षा के लिए मध्य प्रदेश का चयन करेंगे। इस टूर में 9वीं से 12वीं के छात्र, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र हैं।
अपनी यात्रा के पहले दिन इन कश्मीरी छात्रों ने शौर्य स्मारक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का भ्रमण किया। सांची विश्वविद्यालय के बाद ये छात्र ताज्जुल मस्जिद भी पहुंचे। वाल्मी संस्थान में कल इन कश्मीरी छात्रों का मध्य प्रदेश के छात्रों के साथ सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
- - मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं भारत कुमार
- - आईफाक्स (AIFACS) ने प्रोफेशनल चित्राकारों के लिए आयोजित की थी प्रतियोगिता
- - 200 से अधिक राष्ट्रीय चित्रकारों के बीच भारत को मिली सफलता
- - आर्किटेक्ट प्रतियोगिता में भी जीता भारत ने पुरस्कार
- - विवि के इंडियन पेंटिंग विभाग की छात्रा स्नेहलता मिश्रा का जे.आर.एफ में चयन
- - विभागाध्यक्ष को भी मिला राष्ट्रीय महिला कलारत्न पुरस्कार
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिंग विभाग में पी.एच.डी कर रहे छात्र भारत कुमार जैन ने चित्रकारी का राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीता है। भारत को AIFACS (All India Fine Arts & Craft Society, New Delhi) इस पुरस्कार के तौर पर 25 हज़ार रुपए नगद प्रदान करेगी। वे 10 दिसंबर को इस पुरस्कार को ग्रहण करने के लिए दिल्ली में होंगे। भारत कुमार विदिशा के रहने वाले हैं। AIFACS आईफाक्स प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता को आयोजित करता है। इस प्रतियोगिता में फ्री लांस करने वाले प्रोफेशनल चित्रकार हिस्सा लेते हैं। यह प्रतियोगिता सभी स्तर के प्रतिभागियों के लिए आयोजित की जाती है। भारत कुमार के अलावा 200 से अधिक चित्रकारों का चयन इस प्रतियोगिता के लिए किया गया था जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम स्थान हासिल किया है।
आईफाक्स के इस पुरस्कार के अलावा भारत कुमार का चयन सीएमआर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बैंगलोर के कैंप के लिए भी हुआ है। इस चयन के लिए संस्थान ने उन्हें 15 हज़ार रुपए नगद के पुरस्कार से नवाज़ा है। दरअसल, सीएमआर एजुकेशनल संस्था आर्किटेक्ट विश्वविद्यालय बैंगलोर संस्था है और इस कैंप के लिए पूरे देश से 25 चित्रकारों का चयन किया गया था। कैंप में चयनित होने वाले मध्य प्रदेश के एकमात्र चित्रकार भारत भी थे। संस्था ने कला के साथ आर्किटेक्ट को जोड़ते हुए अध्ययन को प्राथमिकता दी थी जिसके लिए इन चित्रकारों को चित्रकारी के लिए आमंत्रित किया गया था।
सांची विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ यज्ञेश्वर एस. शास्त्री एवं कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने भारत कुमार को उनकी इन दोनों सफलताओं के लिए बधाई दी। सांची विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिंग विभाग को एक साथ तीन सफलताएं हासिल हुई हैं। इन अधिकारियों ने इन कामयाबियों के लिए भी विभाग और विभागाध्यक्ष को बधाई दी। विश्वविद्यालय की ही पी.एच.डी की छात्रा स्नेहलता मिश्रा का चयन यूजीसी के जे.आर.एफ(जूनियर रिसर्च फैलोशिप) के लिए हुआ है। उन्हें इस कामयाबी के लिए यूजीसी की ओर से 30 हज़ार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप मिलेगी।
विश्वविद्यालय की इंडियन पेंटिग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुष्मिता नंदी को टोंक राजस्थान के बारहवें राष्ट्रीय कलापर्व क्रेयॉन्स की अंतरंग कला एवं शिक्षण संस्थान ने राष्ट्रीय महिला कलारत्न पुरस्कार से नवाज़ा है।
भारत कुमार का पूर्व में भी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के लिए चयन हो चुका है। वे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हो चुके हैं तथा प्रफुल्ल धनकर केंद्रीय ज़ोन अवार्ड के लिए भी चयनित किए जा चुके हैं।
- सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों का दल पहुंचा सांची विश्वविद्यालय
- थाई भाषा के 50% शब्द संस्कृत भाषा पर आधारित
सॉंची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और थाइलैंड के सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के बीच सहयोग हेतु MoU होने जा रहा है। इसी सिलसिले में सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. सोमबट मंगमेसुकसीरी और हिंदी विभाग के प्रो. परामर्थ खाम-एक सांची विवि का दौरा किया एवं छात्रों को व्याख्यान भी दिया। व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया कि सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय में 6000 छात्र पढ़ाई करते हैं। इस विश्वविद्यालय में संस्कृत, विज्ञान, फार्मेसी, मैनेजमेंट, कला, पेंटिंग, संगीत, इंटीरियर डिज़ाइनिंग, आर्कियोलॉजी और अन्य विषय पढ़ाए जाते हैं।
प्रो. सोमबट ने बताया कि इस MoU के तहत सांची विश्वविद्यालय और सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के छात्र एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के विभिन्न विषयों का अध्ययन, शोध इत्यादि का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा दोनों ही विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में अध्यापन का कार्य कर सकेंगे ताकि दोनों देशों के छात्र लाभान्वित हो सकें।
प्रो. सोमबट के अनुसार थाइलैंड में संस्कृत भाषा (स्पोकन संस्कृत) तथा संस्कृत व्याकरण के विषयों को लेकर कई संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय संस्कृत में एम.ए और पी.एच.डी के पाठ्यक्रमों को केंद्र में रखता है क्योंकि थाइलैंड की 96 प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है। यह आबादी थाई भाषा का उपयोग अपनी दिनचर्या में करती है और थाई भाषा के 50% शब्द मूलत: संस्कृत भाषा से निर्मित हुए हैं।
सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के प्रो. परामर्थ खाम-एक के अनुसार उनके विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा भी पढ़ाई जाती है लेकिन इस विषय पर प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। उनके अनुसार सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में भी सांची विश्वविद्यालय के साथ हाथ मिलाकर आगे बढ़ने को तैयार है।
हिंदी के प्रो. परामर्थ के अनुसार भारतीय सांस्कृतिक अनुसंधान परिषद के साथ थाइलैंड के सांस्कृतिक संबंध हैं जिसके तहत दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, विज़िटिंग प्रोफेसर्स के तौर पर एक-दूसरे के देशों में जाकर कक्षाएं ले सकते हैं ताकि ज्ञान और संस्कृति का आदान-प्रदान हो सके।
क्र. |
नाम |
विभाग |
1. |
रोशन कुमार भारती |
एम.फिल(योग) |
2. |
भानू प्रताप बुंदेला |
एम.फिल(योग) |
3. |
बृजेश नामदेव |
एम.एस.सी(योग) |
4. |
धनंजय कुमार जैन |
पी.एच.डी(योग) |
5. |
अनीश कुमार |
पी.एच.डी(हिंदी) |
6. |
कपिल कुमार गौतम |
एम.फिल(हिंदी) |
7. |
आशीष आर्य |
पी.एच.डी(संस्कृत) |
8. |
लेखराम सेलोकर |
पी.एच.डी(बौद्ध अध्ययन) |
सांची विश्वविद्यालय में तत्वबिन्दु कार्यशाला का आयोजन
महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. कपिल कपूर ने बताया की वाचस्पति मिऋ द्वारा लिखित तत्वबोधिनी के ब्रह्मकांड के विचार पाश्चात्य दर्शन से मिलते जुलते है । उन्होंने कहा की शब्द, ध्वनि भी है ,भाषा भी है, स्वरूप भी है और शब्द,शब्द भी है । शब्द का अपना बोध और चिंतन है ।उनका कहना था की शब्द एक दीपक की तरह है ,जिसका अपना एक रूप और आकृति है ।
प्रो. कपूर ने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा में ज्ञान ,कर्म और भक्ति का महत्व है । उन्होंने बताया की आदि शंकराचर्या ने ज्ञान और कर्म के जोड़ को भक्ति के बराबर बताया। पांच दिन चलने वाले इस तत्वबिन्दु कार्यशाला में सम्लित होने पहुंचे राष्ट्र्य संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. वी कुटुम्भ शास्त्री के बताया की वाचस्पति मिऋ को सभी शास्त्रों का ज्ञाता कहा जाता था । उन्होंने ९वी शताब्दी में मींमासा की टिपणी के रूप में तत्वबोधिनी लिखा था और इसमें शब्द बोध की पांच अलग अलग पारम्परिक व्याख्या की थी । वाचश्पति मिऋ ने वैदिक विचार और परम्परा की छह अलग अलग टिप्णिया भी लिखी थी ।जिसके कारण उन्हें सभी शास्त्रों का विशेषज्ञे कहा जाता था।
सांची विश्वविद्यालय के बरला अकादमिक परिसर में आयोजित इस कार्यशाला में वाचस्पति मिऋ उल्लेखित स्फोट सिद्धांत ,वाक्यस्फोट,वर्णमाला सिद्धांत, अंत्यावरण सिद्धांत पर गहन चर्चा की जाएगी। स्फोट सिद्धांत पर नार्थ बंगाल विश्वविद्यालय के प्रो. सुनंदा शास्त्री ,अंत्यावरण सिद्धांत पर प्रो. वी कुटुम्भ शास्त्री, अन्विताविधानवाद सिद्धांत पर पुणे विवि के प्रो. देवनाथ त्रिपाठी तथा अभिहीतानवयवाद सिद्धांत पर पुणे विवि के प्रो. वीएन झा कार्यशाला को बोधित करेंगे । भारतीय दर्शन अनुसन्धान परिषद की और से प्रायोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में देशभर के विश्वविद्यालयो से भाषा विज्ञानं और संस्कृत के शोधाथ्रियो ने पंजीयन कराया है ।
-सांची विवि में वाचस्पति मिऋ के कार्य पर कार्यशाला
-वाचस्पति मिऋ द्वारा लिखित मींमासा की टिपणी है तत्वबिन्दु
-२१-२५ मार्च तक पांच दिवसीय कार्यशाला
-ज्ञान का आधार व्यक्ति की चेतना है -प्रो. कपिल कपूर
-भारतीय दर्शन अनुसन्धान परिषद द्वारा प्रायोजित
Press Release - 2017
जिन विजेताओं ने प्रथम पुरस्कार जीते उनके नाम निम्नानुसार हैं-