दिनांक - 15 अगस्त 2021
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के सांची स्थित नए प्रांगण में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया गया। कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने ध्वजारोहण के बाद रंग दे बंसती चोला गाकर देश के स्वतंत्रता संघर्ष को याद किया। उन्होंने कहा कि 1500 साल की लड़ाई अपने देश में अपनी भाषा और संस्कृति को निडर होकर अपनाने की है। डॉ गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय बौद्ध और भारतीय संस्कृति और दर्शन दोनों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि बौद्ध, जैन और सिख भारतीय संस्कृति की ही शाखाएं है और देश का अस्तित्व तभी सुरक्षित रह सकता है जब शिक्षा से संस्कृति पोषित और पल्लवित हो।
स्वतंत्रता दिवस संबोधन में डॉ. नीरजा गुप्ता ने बंगाल विभाजन और उसके बाद हुए कांग्रेस अधिवेशन का ज़िक्र करते हुए बताया कि अंग्रेज़ों ने वंदेमातरम कहने पर रोक लगा दी थी। अधिवेशन में उपस्थित 500 लोगों को 3500 अंग्रेज़ पुलिस ने घेर रखा था। लेकिन गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने अधिवेशन के मंच पर अकेले वंदेमातरम पूरा गाया और उसके बाद अधिवेशन समाप्त हो गया। उनका कहना था कि अंग्रेज़ों की लगाई गई रोक के विरोध में भारतीय जनमानस खड़ा हुआ था। वैचारिक स्वतंत्रता के लिए ही सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिए हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि 75वें स्वतंत्रता दिवस के साल भर चलने वाले कार्यक्रमों को विवि पुण्य विजय की विचार यात्रा नाम से चलाएगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अल्केश चतुर्वेदी ने कहा कि 75 वां स्वतंत्रता दिवस सहस्त्र चंद्र दर्शन जैसा है। उन्होने बताया कि अविभाजित भारत के अलग अलग हिस्से जैसे नेपाल, अफगानिस्तान कभी भी परतंत्र नहीं किए जा सके। देश के विभिन्न राज्यों के स्थानीय आंदोलनों और उनमें लोगों की जनभागीदारी का भी उन्होंने ज़िक्र किया। 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी अवंतीबाई का जिक्र करते हुए घोड़ा डोंगरी आंदोलन पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
ध्वजारोहण समारोह में उपस्थित कर्मचारियों और अधिकारियों और उनके बच्चों ने कई प्रस्तुतियां दीं। 8 वर्ष के नैवैद्य बचले ने वंदेमातरम गाकर सभी को देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर दिया। डॉ. रितु श्रीवास्तव और डॉ अंजलि दुबे ने भी वंदेमातरम गाया।