दिनांक 12-03-2021
- गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा
- आजादी वैचारिक शक्ति, सहेजकर रखने की आवश्यकता
- विचार करने की आवश्यकता कि हम गुलाम क्यों हुए-डॉ विश्वबंधु
आजादी का अमृत महोत्सव सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक मनाया गया। वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस सिलसिले में 75 हफ्तें तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में विश्वविद्यालय ने गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की। सांची विश्वविद्यालय में अमृत महोत्सव का प्रारंभिक समारोह 12 मार्च से 15 मार्च तक मनाया जा रहा है और 15 मार्च को विश्वविद्यालय की नवीन वेबसाइट का लोकार्पण भी किया जाएगा।
वरिष्ठ वक्ता डॉ नवीन मेहता ने आजादी आंदोलन को स्वाभिमान और स्वालबंन से जोड़ने से गांधीजी के विचार पर प्रकाश डालते हुए दांडी यात्रा के विचार और परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि गांधीजी ने समझा कि नमक के लिए भी अंग्रेज देश को दूसरे देश पर निर्भर बनाकर देश को तोड़ना चाहते हैं। डॉ प्रभाकर पांडे ने अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 75 हफ्ते तक चलने वाले समारोह में आजादी के लिए लड़ने वाले शहीदों को याद करने के साथ आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए भारत का विजन भी प्रस्त किया जाएगा। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत की और दांडी यात्रा को हरी झंडी दिखाई।
डॉ विश्वबंधु ने स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये समारोह हमें इस बिंदु पर विचार का मौका देता है कि आखिर हम गुलाम क्यों हुए। उन्होने कहा कि देश की मिट्टी से हमें वैचारिक संस्कार प्राप्त होते है और आत्मनिर्भर हुए बिना विकास संभव नहीं है। डॉ नवीन दीक्षित ने दांडी मार्च और गांधीजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। डॉ देवेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर एकजुटता की आवश्यकता प्रतिपादित की। कार्यक्रम का संचालन डॉ रमेश रोहित ने किया।