08 मार्च, 2021
सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर कई आयोजन
- ग्राम बिलारा और बारला की महिलाओं संग मनाया महिला दिवस
- ग्रामीण महिलाओं के साथ शिक्षकों ने खेली म्यूज़िकल चेयर रेस
- तटस्थ होकर फैसले लेने से महिला सशक्त होंगी- डॉ. मोनिका शुक्ला, मुख्य अतिथि
- अपनी खोल से निकलकर ही नई ऊंचाइयां छू सकती हैं महिलाएं- डॉ. नीरजा गुप्ता
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन महिलाओं की अगुआई में हुआ। महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रांगण के नज़दीक बसे गांव बिलारा व बारला की महिलाएं सम्मिलित हुई व कन्यापूजन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रायसेन की एस.पी डॉ मोनिका शुक्ला ने ‘महिला सुरक्षा व महिला सशक्तिकरण’ पर संबोधित किया।
डॉ शुक्ला ने कहा कि महिलाओं को सशक्त होने के लिए तथस्थ होकर फैसला लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं तभी सशक्त हो सकती हैं सकती हैं जब वे अपने ऊपर होने वाले आर्थिक, मानसिक व शारीरिक भेदभाव को रिपोर्ट करेंगी। डॉ शुक्ला ने छात्राओं व महिलाओं को सलाह दी कि कार्य व जीवन में बैलेंस(सम) आवश्यक है।
डॉ शुक्ला का कहना था कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में सप्ताह में एक बार काउंसलिंग का पीरियड होना चाहिए ताकि कोई भी छात्रा/महिला अपने ऊपर हुए दुर्रव्यहार को रिपोर्ट कर सके। उन्होने सलाह दी कि लड़कियों को बचपन से गुड टच, बेड के बारे में बताना चाहिए और माता पिता को बच्चियों के व्यवहार को समझना चाहिए।
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने उद्बोधन के द्वारा महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने इस वर्ष के ध्येय वाक्य - Choose to Challenge को साकार करने की आवश्यकता जताई। अपने उद्बोधन में उन्होंने पंजाब और बिहार की दो महिलाओं के साथ बीती सच्ची घटनाओं के ज़रिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अपने कंफर्ट ज़ोन(खोलों) से निकलना होगा ताकि वे आसमान की ऊंचाइयों को छू सकें। ग्राम बारला एवं बिलारा की महिलाओं ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
महाभारत में द्रोपदी चीरहरण के दृश्य पर कृष्ण व अर्जुन के बीच हुए संवाद का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि करुणा के माध्यम से ही धर्म का निर्वह्न हो सकता है। उन्होने कहा कि लक्ष्मण रेखा रावण के लिए बनी थी लेकिन कब वो सीता के लिए बन गई पता ही नहीं चला और मौजूदा दौर में हमें पुराने कथानकों का पुनः पाठ करने की आवश्यकता है। बिलारा ग्राम से आई हुई महिलाओं से उन्होंने कहा कि वे उन्हें सलाम करती हैं क्योंकि वे जीवन के अनुभवों से सीखती हैं।
कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता महिला दिवस पर उत्तराखंड के कुमाउं विश्वविद्यालय, गुजरात विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के समारोह में भी सम्मिलित हुई। सांची विश्वविद्यालय में आयोजित इस महिला दिवस कार्यक्रम में ही ग्राम बिलारा की महिलाओं एवं कन्याओं के साथ विश्वविद्यालय की महिला शिक्षकों व कर्मचारियों तथा छात्राओं ने म्यूज़िकल चेयर रेस का भी लुत्फ उठाया।