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'कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या ही शिक्षा है'

दिनांक 05.09.2020

                                                                      

'कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या ही शिक्षा है'

 

  • सांची विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस का आयोजन
  • नई शिक्षा नीति पर शिक्षकों ने रखे अपने विचार 

सांंची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बेहद सादगी से शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। नई शिक्षा नीति के संदर्भ में आयोजित किए गए इस शिक्षक दिवस कार्यक्रम पर कोविड-19 का प्रभाव दिखाई दिया। छात्रों के बगैर विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने नई शिक्षा नीति से जोड़कर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय दर्शन के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने विष्णु पुराण में उल्लेख किए गए श्लोक के माध्यम से बताया कि शिक्षा दरअसल कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या है। उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण के इस श्लोक के अनुसार सर्वश्रेष्ठ कर्म वह है जो बंधन में न डाले और सर्वश्रेष्ठ विद्या वह है जिससे मुक्ति की प्राप्ति हो। डॉ दीक्षित ने ज्ञान के तीन आयामों - श्रवण, मनन और विद्यासन का भी ज़िक्र किया। 

वैकल्पिक शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रभाकर पांडे ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। उन्होंने नई शिक्षा नीति में सम्मिलित किए गए गुणवत्ता, सार्वभौमिकरण और सर्वसमावेशी विषयों पर चर्चा की। 
संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ विश्वबंधु का कहना था कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा जाना उचित होगा। उनका कहना था कि कालीदास के महाकाव्य में भी स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि शिक्षक को कैसा होना चाहिए। 
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉक्टर ओ पी बुधौलिया ने बताया कि ज्ञान दरअसल समय और अनुभव का मिश्रण है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में शिक्षक को सर्वोपरि रखा गया है।