दिनांक : 14 अप्रैल 2021
- दलित, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक शब्द अंग्रेजों की देन
- डॉ आंबेडकर की ग्रंथावली का अध्ययन ज़रूरी
- बाबा साहब स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक स्वतंत्रता बताते थे
- महिलाओं को संपत्ति में अधिकार की पहल डॉ अम्बेडकर ने की थी
बाबा साहेब अंबेडकर की 130वी जयंती पर सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर कुलपति डॉक्टर नीरजा गुप्ता ने कहा कि अंबेडकर ग्रंथावली और उनकी लिखी डायरी पढ़ने से उनके विचार जानने को मिलेंगे। जिसके लिए ज़रूरी है कि मूल तक जाकर विचार खड़ा किया जाय।
उनका कहना था कि दलित शब्द अंग्रेज लेकर आए थे,अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक भी हमारे शब्द नहीं हैं बल्कि अंग्रेजों की देन हैं। जबकि बाबा साहेब ने तो वो पाबंदियां हटाने पर जोर दिया जिसे अंग्रेजों ने लगवाया था। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर भारतीयता के बड़े पैरोकार थे।
इस मौके पर संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ विश्वबंधु ने कहा कि डॉ अंबेडकर द्वारा संस्कृत को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने हेतु संविधान सभा समेत अन्य प्रयास किये गए थे।
बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश रोहित ने बताया कि डॉ अंबेडकर बचपन में संस्कृत ना पढ़ पाने से व्यथित थे।
भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ नवीन दीक्षित ने दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़कर समतामूलक समाज की स्थापना के प्रयासों पर दृष्टि डाली।
उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर ने महिलाओं को संपत्ति में समानता का अधिकार हेतु पहल की थी। उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक आजादी को बताते थे। उन्होंने अंग्रेजों के बनाये पैमाने पर सामाजिक भेदभाव का विरोध किया।