- 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र थे प्रो. रियोजुन
- गौतम बुद्ध पर दो किताबें “द महाबोधि टैम्पल एट बोधगया’ और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है
- छात्रों को बताया कैसे तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा था बौद्ध दर्शन
- 86 वर्ष के हैं प्रो. रियोजुन सातो
जापान की राजधानी टोक्यो के ताइशो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रियोजुन सातो ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया.....86 साल के प्रो. रियोजुन सातो एमेरिटस Emeritus (ससम्मान सेवानिवृत्त) प्रोफेसर हैं और वे टोक्यो जापान के रहने वाले हैं। उन्होंने 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के दूसरे बैच से पढ़ाई की है।
प्रो. रियोजुन सातो मध्य प्रदेश के विभिन्न बौद्ध मंदिरों, मठों, स्थलों और स्तूपों का दौरा कर रहे हैं। अपने दौरों की इसी कड़ी में वे सांची स्तूप भी पहुंचे। स्तूप दर्शन के बाद वे सांची विश्वविद्यालय पहुंचे और उन्होंने विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग पहुंचकर छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की और अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे बौद्ध दर्शन तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा। उन्होंने सांची विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को बताया कि वे प्रयास करेंगे कि जापान में बौद्ध अध्ययन से संबंधित विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर सांची विश्वविद्यालय ज्ञान साझा करें। प्रो. सातो विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी भी पहुंचे।
प्रो. रियोजुन सातो ने भगवान बुद्ध से जुड़े भारत के लगभग सभी स्थलों का गहन पुरातात्विक अध्ययन किया है। वे अपनी इस यात्रा के दौरान बादामी, विजयनगर, अंजता-एलोरा, गुजरात और कश्मीर के उन स्थानों पर भी जा चुके हैं जहां पर बौद्ध स्थल स्थापित हैं। उन्होंने गौतम बुद्ध पर दो पुस्तकें – “द महाबोधि टैम्पल एट बोध गया” और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है। वे इन दिनों भगवान बुद्ध से संबंधित कई कहानियों पर गहन शोध कर रहे हैं।
प्रो. सातो इंटरनेशनल बुद्धिस्ट ब्रदरहुड एसोसिएशन, बोधगया और असम के बोर्ड मैंबर तथा बंगाल बुद्धिस्ट एसोसिएशन, कोलकाता के पैटरन भी हैं।