- विश्वविद्यालय परिसर का बाग़ गुलज़ार
- बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे बाग़ को देखने
- औषधीय और खुशबूदार पौधों के भी उद्यान
- आध्यात्मिक उद्यान भी विकसित किया गया
- विलुप्त हो रही पेड़-पौधों की प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन कर रहा सांची विश्वविद्यालय
- पानी में लगाए जाने वाले पौधे भी लगाए गए परिसर में
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला स्थित अकादमिक परिसर में इन दिनों फूलों की बहार है। विश्वविद्यालय परिसर के चारों तरफ फूलों की तकरीबन 60 से अधिक किस्में पल्लवित हो रही हैं। हर तरफ रंग-बिरंगे फूल ही फूल खिले हैं जो फिज़ां में खुशबू बिखेर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग इन फूलों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। इन फूलों के अलावा विश्वविद्यालय में औषधीय गार्डन भी विकसित किया गया है जिनमें औषधीय पौधों के अलावा एरोमैटिक(खुशबू देने वाले) पौधे भी लगाए गए हैं।
सांची विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक(उद्यानिकी) श्री कृपाल सिंह वर्मा का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में ही एक आध्यात्मिक उद्यान, नवग्रह उद्यान एवं राशि उद्यान भी विकसित किए गए हैं जहां पर ऐसे पेड़ों को लगाया गया है जिनका अलग-अलग धर्म और दर्शन में ज़िक्र किया गया है। पीपल, बरगद और समी के पेड़ों की किस्मों के साथ-साथ पाम के वृक्ष, क्रिसमस ट्री, खजूर के वृक्ष इत्यादि पेड़ों की प्रजातियों को सांची विश्वविद्यालय में ही ग्राफ्ट कर तैयार किया गया है।
सांची विश्वविद्यालय अपनी नर्सरी में कई विलुप्त हो रही पेड़-पौधों की प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय की नर्सरी में चिरौंजी, सफेद और पीले पलाश की प्रजातियों को लगाया गया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में Ornamental Plants अलंकृत पौधे जैसे मोरपंखी, एकजोरा, बॉटल ब्रश, कचनार, चांदनी जैसे पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों को घरों की सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नर्सरी में फूलों की 60 विभिन्न वेरायटियों(किस्म) में लाइनेरिया, फ्लॉक्स, केलेंड्यूला, स्वीट सुल्तान, स्वीट विलियम, पॉपी, ऑर्क टोटिस, कैलिफोरनिया पॉपी, एनट्रेनियम, डहेलिया, सूरजमुखी और हैरीक्राइसम प्रमुख हैं।
सांची विश्वविद्यालय की नर्सरी में जलीय पौधों को भी लगाया गया है। जिनमें सिंघाड़ा, कमल और अमेज़न लिलि प्रमुख हैं।