- समन्वय भवन में "Medicine Free Life" पर डॉ प्रवीण चोरड़िया का वक्तव्य
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के समन्वित चिकित्सा केंद्र के आयोजन "Medicine Free Life" में जाने-माने सर्जन डॉ प्रवीण चोरड़िया ने दवा मुक्त जीवन के कुछ सूत्र बताएं। समन्वय भवन में आयोजित इस व्याख्यान की शुरूआत में डॉ. चोरड़िया ने कहा कि पिछले दरवाजे से जंकफूड, मैदा, शक्कर और सफेद नमक जैसे चोर हमारे शरीररूपी घर में घुस गए और हमारे स्वास्थ्य पर सेंध लगा दी। ऐसे ही कई अन्य अननोन अननोन डेविल्स हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। डॉ चोरडिया कहते है कि हम सभी को एक ही बीमारी हो गई है, Nature deficiency disorder यानि हम प्रकृति से दूर हो गए है। दस साल पहले एलोपेथी से नाता तोड़ चुके डॉ. चोरड़िया का शरीर और स्वास्थ्य से जुड़े हर सवाल पर एक ही जवाब होता है ‘ANSWER’। ऑन्सर (ANSWER) ग्रुप में काम करने वाला डॉक्टर्स हैं, इनमें से एक भी डॉक्टर का साथ छोड़ा तो बाकी सभी भी काम नहीं करेंगे।
क्या है ऑन्सर (ANSWER)
A – एअर ( शुद्ध और ताजी हवा में सांस लें)
N – न्युट्रिशन ( जैविक खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल शुरू और शक्कर, मैदा, रिफाइंड ऑइल से दूरी)
S – सनलाइट ( लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या विटामिन डी की कमी से जूझ रही है)
W – वॉटर ( क्लोरिन, फ्लोरिन और आरओ पानी से गुड बैक्टिरिया को मारने का काम करते हैं। सूरज की रोशनी में बहने वाले प्राकृतिक पानी का इस्तेमाल करें।)
E – एक्सरसाइज (कार्डियो, योगा और मसल ट्रेनिंग।)
R – रेस्ट (शरीर को बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से चलाएं और आराम करें)
शरीर के बिगड़े स्वरुप के लिए यू टर्न की बात करते हुए उन्होने कहा कि बॉडी हिल्स ऑन इट्स ऑन...। उन्होने कहा कि मैंने हमारे शरीर के निर्माता (प्रकृति) से पूछा कि शरीर में खुद ही हील होने की क्षमता है तो क्यों हम बीमारियों से घिरे हुए हैं। प्रकृति ने जवाब दिया- ब्रेकेट में ‘टर्म्स एंड कंडिशंस अप्लाई भी तो लिखा है।‘ तुम्हें याद है जब बचपन में तुम बीमार होते थे तो दादी डॉक्टर के पास नहीं बल्कि किचन की ओर दौड़ती थी, क्योंकि वहां स्वस्थ जीवन का खजाना होता है। एक रामबाण नुस्खा देते हुए उन्होने कहा कि हमें स्वस्थ रहना है तो आदमी की बनाई चीजों की बजाय प्रकृति निर्मित चीजों को ही भोजन का हिस्सा बनाना होगा।
डॉ चोरडिया ने कहा कि मैंने अपनी एलोपैथी की पढ़ाई और प्रेक्टिस में कभी पेस्टिसाइड्स के खिलाफ एक भी चैप्टर नहीं पढ़ा, जबकि पेस्टिसाइड्स पूरी तरह से हमारी जीवन-शैली का हिस्सा बन चुके हैं। एलोपेथी समस्या को जड़ से समाप्त नहीं करती, बल्कि बैंडेज का काम करती है। आजकल हर बीमारी के समाधान में सबसे पहले एंटिबायोटिक दिया जाता है। मैं एंटिबायोटिक का समर्थक बिल्कुल नहीं हूं, बल्कि जीव-जंतुओं को प्रणाम करता हूं। हमारी लाइफस्टाइल कुछ ऐसी हो गई है कि हम सुबह से लेकर शाम तक केवल बैक्टिरिया को खत्म करने के बारे में ही सोचते रहते हैं। हम केमिकल सेंडविच बन गए हैं। बिना पिल और बिना बिल के डॉ चोरडिया ने बताया कि हमें प्रकृति से जुड़ने और खुद का डॉक्टर स्वयं बनने की जरूरत है। उन्होने मेडिसिन के जन्मदाता हिप्पोक्रेटिस का उद्धरण सुनाते हुए उन्होने कहा कि अगर आप अपने डॉक्टर खुद नहीं है तो आप मूर्ख है।
कार्यक्रम की शुरुआत में सांची विवि के कार्यक्रम में विवि के कुलपति आचार्य प्रो डॉ यज्नेश्वर शास्त्री ने कहा कि हमें जैविक भोजन और रसायन मुक्त दूध के साथ प्रकृति की ओर फिर से बढ़ना चाहिए। उन्होने कहा कि हमें किसानों को जैविक अनाज उगाने को प्रोत्साहित करना चाहिए। विवि के कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता ने विवि के समन्वित चिकित्सा केंद्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी विकृति को ठीक करने में प्रकृति का योगदान समझकर उसपर काम करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रभाकर पांडे ने किया व स्वागत भाषण डॉ अखिलेश सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन विवि के डीन प्रो नवीन मेहता ने किया।