भारत की आत्मा को जागृत करने के लिए सांची विवि बधाई का पात्र-श्री सत्यार्थी
बच्चों से अनैतिकता की महामारी के खिलाफ संपूर्ण महायुद्ध का ऐलान
"वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" पर व्याख्यान
नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से संवाद किया। मानव तस्करी और यौन शोषण के खिलाफ जारी भारत यात्रा के दौरान बारला अकादमिक परिसर पहुंचे श्री सत्यार्थी ने कहा कि कहा कि आत्मशक्ति, नैतिकता और सच्चाई का बल संख्या बल से ज्यादा ताकतवर होता है और सांची विश्वविद्यालय भारत की आत्मा को जागृत करने का कार्य कर रहा है जिसके लिए विवि को बधाई दी जाना चाहिए। विवि के छात्रों के आग्रह पर "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" विषय पर बोलते हुए उन्होने कहा कि अनैतिकता और यौन हिंसा की बढ़ती महामारी देश के सामाजिक मूल्यों को खोखला कर रही जिसके खिलाफ खड़े होने का वक्त आ गया है। भारत यात्रा के उद्देश्य को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें डर छोड़कर अभय बनना होगा और इसीलिए उन्होने बच्चों, लड़कियों और अबलाओं की सुरक्षा के लिए संपूर्ण महायुद्ध छेड़ा है। कन्याकुमारी के शुरू हुई भारत यात्रा के साथ सांची विवि पहुंचे श्री सत्यार्थी ने कहा कि हम उदासीन हो गए हैं जिसकी वजह से हमारे अंदर आत्महंतक निष्क्रियता (सुसाइडल पैसिविटी) बढ़ती जा रही है। उन्होंने हवाला दिया कि पड़ोस में लगी आग के बाद भी हम ये सोचकर निष्क्रिय बने रहते हैं कि आग हमारे घर में नहीं लगी है और यह प्रवृत्ति हमें समाप्त किए जा रही है।
सुबह 10.30 बजे बारला अकादमिक परिसर पहुंचे श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमें डर, चुप्पी निष्क्रियता और उदासीनता को पीछे छोड़कर भयमुक्त भारत के रुप में नए भारत के निर्माण की शुरुआत करना चाहिए। वेद और पुराणों का हवाला देते हुए श्री सत्यार्थी ने कहा कि परहित और परपीड़ा को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है और इसीलिए मानव कल्याण और भय के खिलाफ खड़े होना सबसे बड़ा धर्मयुद्ध है। उन्होने सभी छात्रों एवं मौजूद लोगों को संकल्प दिलाते हुए सभी के अंदर बैठे बाल शोषण, बाल हिंसा और अनाचार रुपी राक्षस के वध का आव्हान किया। श्री सत्यार्थी के वक्तव्य से छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों को सेवा, करुणा एवं बाल समस्याओं के क्षेत्र में एक नोबल पुरस्कार विजेता के अनुभवों का सीधा लाभ प्राप्त हुआ। श्री कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि नोबल पुरस्कार मिलने के बाद उन्होने अपना नोबल पुरस्कार राष्ट्रपति भवन पहुंचकर देश को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस नोबल पुरस्कार की सुरक्षा के साथ पूरा देश इस संकल्प में है कि वो बाल अपराध के खिलाफ उनकी इस यात्रा में उनके साथ है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष औऱ विवि के कुलपति प्रो यज्नेश्वर शास्त्री ने श्री सत्यार्थी का स्वागत करते हुए उन्हें आधुनिक भारत का राष्ट्र संत करार दिया। उन्होने कहा कि शांति, करुणा, मैत्री और राष्ट्र निर्माण का संदेश बुद्ध ने भी दिया था और उनके पदचिन्हों पर चलकर श्री सत्यार्थी राष्ट्र निर्माण में लगे हुए है। कार्यक्रम में एडीजी और कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता एवं विवि की डीन श्रीमति सुनंदा शास्त्री भी मौजूद रही। धन्यवाद प्रो नवीन मेहता ने किया।
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार और उच्च कोटि के शोध को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित विश्वविद्यालय है। सांची विश्वविद्यालय का वैकल्पिक शिक्षा केंद्र, शिक्षा के विभिन्न मॉडलों और पद्धतियों पर कार्य कर रहा है। विभिन्न शिक्षा पद्धतियों पर शोध के बाद विश्वविद्यालय ने वैकल्पिक शिक्षा पर पाठ्यक्रम भी तैयार करेगा।