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सांची विश्वविद्यालय में छठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ऑनलाइन आयोजन

दिनांक 21 जून, 2020

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ऑनलाइन आयोजन

  • सांची विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने किया समापन 


सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सात दिवसीय विश्व योग दिवस का आज  समापन हुआ। छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शिव शेखर शुक्ला द्वारा विशेष उद्बोधन दिया गया। उन्होंने समत्वम योग उच्यते एवं योगा कर्मसु कौशलम के माध्यम से समस्त श्रोता गण से अपनी जीवनशैली में योग को अपनाने का आव्हान किया। 

 सप्त दिवसीय ई-कार्यशाला में सामूहिक रूप से विश्व योग दिवस का ऑनलाइन कार्यक्रम में विभाग अध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉ शाम गणपत तिखे के निर्देशन मे भारत सरकार के योग प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हुए योगाभ्यास किए गए।योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने वर्तमान जीवन शैली में योग की उपयोगिता पर विशेष ध्यान दिया  एवं योग की मूल भावना को पुनः  प्रतिष्ठित रखने का विचार रखा। उन्होंने अपने व्याख्यान के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत के विषय में कहा कि पहले हम स्वयं आत्मनिर्भर बने जब हम स्वयं आत्मनिर्भर होंगे तभी हम दूसरों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर सकने में सक्षम होंगे। उन्होंने बताया कि योग सिर्फ आसन प्राणायाम ध्यान इत्यादि ही नहीं है बल्कि योग अपने जीवन में अपनाने की कला है। 

 योग एवं आयुर्वेद विभाग ने आज से 6 दिनों पूर्व में योगिक जीवन शैली कोरोना के साथ भी कोरोना के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉक्टर शाम गणपति के साथ विभाग के वरिष्ठ शोधार्थी उमाशंकर कौशिक, लोकेश चौधरी, धनंजय जैन,  एवं अखिलेश विश्वकर्मा, नीलू विश्वकर्मा, श्वेता नेमा, अरविंद यादव, प्रशांत खरे, रवि यादव  सजन आदि विद्यार्थियों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किये गए। इसके साथ साथ सायंकालीन विशिष्ट व्याख्यान की श्रंखला में कुछ विशेष विद्वानों के मत अपनों से अपनी बात के अंतर्गत रखे गए। अपनों से अपनी बात में  प्रथम व्याख्यान अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के मनीषी चिंतक एवं साधक श्रीमान वीरेश्वर उपाध्याय जी का  व्याख्यान संपन्न हुआ। जिन्होंने व्यावहारिक जीवन में सद्गुणों को धारण करने हेतु महत्वपूर्ण सूत्रों में योगाभ्यास, स्वाध्याय (अच्छे ग्रंथों का अध्ययन), उपासना (सद्गुणों की धारणा), साधना (संयम) और आराधना (सेवा)  से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त कर स्वयं एवं समाज को सहयोगी बनने का सारगर्भित उपदेश दिया। 

16/6/20 को स्वामी आत्म श्रद्धानंद जी का विशेष उद्बोधन संपन्न हुआ। स्वामी जी कानपुर, रामकृष्ण मिशन के सन्यासी हैं। जिन्होंने अपने उद्बोधन में समाज में व्याप्त दु:ख, भय और संकट  के समाधान हेतु मार्ग दर्शन दिया। 

तीसरे दिन 17/6/20 को प्रो. इंदुमती काटदरे जी ने बताया कि हमें अपनी भारतीय संस्कृति और भारतीय शिक्षा पद्धति को किस प्रकार भूलते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति और शिक्षा पद्धति की उपयोगिता और विशिष्टता को बताते हुए सभी को अपनी संस्कृति और शिक्षा की तरफ वापस जाने का आवाहन किया। साथ ही वर्तमान की वैज्ञानिक और यांत्रिकी शिक्षा पद्धति से भी परिचित होने की बात की। अंत मे योग किस प्रकार इसमे सहयोगी हो सकता है इसका महत्व समझाया। चौथे दिन 18/6/20 को श्री अभय महाजन जी का विशिष्ट उद्बोधन हुआ। नाना देशमुख  जी के साथ रहकर राष्ट्र निर्माण में अपना संपूर्ण समय और श्रम दिया। महाजन जी ने राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को वहन करने का आवाहन किया। वर्तमान में स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग की उपयोगिता को बताते हुए सभी को स्वदेशी की दिशा में संकल्पित किया। 

पांचवा दिन 19/6/20 को महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के. बी. पांडे जी का उद्बोधन संपन्न हुआ। जिसमें उन्होंने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अनुभव सांझा किए।  20/6/20 को श्री नंदलाल मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में वर्तमान की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस तरह कोरोना वायरस की वजह से लोगों में भय और मानसिक रोग उत्पन्न हो रहे हैं। रोगों के संदर्भ में आपने साइकोसोमेटिक, न्यूरोटिक और साइकोसोमेटिक रोगों कि  संभावनाओं को अधिक बताया है। डायबिटीज, बीपी, पेप्टिक अल्सर आदि रोगों का कारण साइकोसोमेटिक बताया है।