- योगनिद्रा एवं अंतर्मौन का कराया अभ्यास
साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला, जिला रायसेन स्थित परिसर में अंतराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 21 से 25 जून, 2018 तक चलने वाली पॉंच दिवसीय 'योग' कार्यशाला का शुभारम्भ भी हुआ। कार्यशाला में प्रथम दिवस 'विश्वयोग' कार्यक्रम के अन्तर्गत योगनिद्रा एवं अंतर्मौन के प्रथम स्तर, योगाभ्यास के सामान्य नियम, लाभ एवं सावधानियों पर चर्चा की गई। 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' का शुभारम्भ कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञेश्वर एस. शास्त्री द्वारा वैदिक मन्त्रोच्चारण एवं उद्बोधन के साथ हुआ।
'विश्वयोग' के द्वितीय एवं तृतीय स्तर में योगनिद्रा एवं अंतर्मौन का अभ्यास कराया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ उपेन्द्रबाबू खत्री ने ' मन से पार अर्थात् मन से अमन की यात्रा' विषय में बताया कि मन के धरातल पर ही संसार की सारी समस्याऍं उत्पन्न होती हैं। यदि मन को योगनिद्रा एवं अंतर्मौन के अभ्यास से तनाव, राग, द्वेष, क्रोध, घृणा आदि के अन्तरद्वन्द्वों से शांत कर अंतर्मुखी बनाया जाय तो मन के साथ-साथ व्यवहारिक जीवन की समस्याओं का समाधन भी हो सकता है और मनुष्य पूर्ण आनन्द और उत्साह एवं सुखमय जीवन निर्वाह कर सकता है।
योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ0 शाम गनपत तिखे ने आसन, प्राणायाम आदि यौगिक क्रियाओं का प्रदर्शन एवं अभ्यास उपस्थित लोगों से कराया। योग कार्यक्रम में सॉंची विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञनेश्वर एस. शास्त्री, योग विभाग एवं विश्वविद्यालय के विभागों के प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों एवं आस पास के क्षेत्र से आये हुये अनेक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिभागी शामिल हुये।
- साधारण परिषद की बैठक में कर्मचारियों को पेंशन एवं उपादान को भी मंज़ूरी
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की साधरण परिषद की मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में विश्वविद्यालय से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्वविद्यालय परिसर निर्माण हेतु आवश्यक राशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री जी ने विश्वविद्यालय की संचित निधि के लिए 10 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने का भी फैसला किया।
विभिन्न देशों के अध्ययन केन्द्र हेतु विश्वविद्यालय को आवंटित भूमि से लगी अतिरिक्त 20 एकड़ भूमि भी उपलब्ध कराने पर बैठक में सहमति बनी। साधारण परिषद ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए पेंशन एवं उपादान सुविधा देने का भी निर्णय लिया। विवि के गैर अकादमिक सेवकों के लिए सातवें वेतनमान को भी मंजूरी दी गई।
इस बैठक में माननीय मुख्यमंत्री के अलावा संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेंद्र पटवा, मुख्य सचिव श्री बी पी सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनोज गोविल, आयुक्त एवं पदेन सचिव उच्च शिक्षा श्री अजीत कुमार, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के चेयरमैन प्रो कपिल कपूर, NCERT के पूर्व अध्यक्ष श्री जे एस राजपूत, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष श्री एस आर भट्ट, महाबोधि सोसायटी ऑफ श्रीलंका के अध्यक्ष बेनेगला उपथिसा नायका थेरो मौजूद रहे। साधारण परिषद के सदस्यों का परिषद के सदस्य सचिव और सांची विवि के कुलपति आचार्य प्रो यजनेश्वर शास्त्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में सांची विवि के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी भी मौजूद थे।
- कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने किया ध्वजारोहण
- ऐष धर्म: सनातन्: है अशोक चक्र का संदेश
- सांची विश्वविद्यालय का भी सूत्र वाक्य है ऐष धर्म: सनातन्:
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री अमर सिंह ने दिया विशेष संदेश
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला अकादमिक परिसर में 72वें स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया गया। कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने राष्ट्रध्वज फहराने के फहराने के बाद तिरंगे के तीनों रंगों की व्याख्या करते हुए बताया कि तिरंगे की सफेद पट्टी पर बना अशोक चक्र ऐष धर्म: सनातन्: का संदेश देता है जो कि सांची विश्वविद्यालय का भी सूत्र वाक्य है। उन्होंने कहा कि ऐष धर्म: सनातन्: देश वासियों को परस्पर सहानुभूति की शिक्षा देता है। जिसका मुख्य संदेश यह है कि बैर को बैर से समाप्त नहीं किया जा सकता बल्कि बैर(वैमनस्य) को मात्र प्रेम(अवैमनस्य)से ही खत्म किया जा सकता है और ऐष धर्म: सनातन: सांची विश्वविद्यालय का मूल सूत्र भी है। समारोह में मुख्य अतिथि 91 वर्ष के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री अमर सिंह जी ने कहा कि हमने आहूतियां देकर कीमत चुकाई है और आज़ादी के लिए खुदीराम बोस, अशफाकुल्ला, भगत सिंह इत्यादि ने बेहद संघर्ष किया है इसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना है। श्री अमर सिंह ने देश की आज़ादी के लिए क्रांतिकारियों के साथ विंध्य और बुंदेलखंड के इलाकों में संघर्ष किया था और आप इंदौर और भोपाल की जेल में अंग्रेज़ों द्वारा कैदी भी बनाए गए थे।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर ग्राम बिलारा के स्कूली बच्चों ने भी शिरकत कर विश्वविद्यालय में एक संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम बिलारा को गोद लिया गया है। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी राष्ट्रभक्ति से भरपूर गीतों को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने बताया कि देश संस्कृत भाषा के मूल शब्ध दिशा से बना है। उन्होंने यह भी व्याख्यायित किया कि भारत शब्द भरत से बना है जिसका अर्थ अग्नि से है। भारत का एक अर्थ उन्होंने यह भी बताया कि जो ज्ञान में लीन हो। उनका कहना था कि अखंड भारत का उद्देश्य अध्यात्म और सांस्कृतिक रूप से संवृद्धि करना है। धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश चंद्रवंशी ने दिया एवं संचालन बौद्ध दर्शन विभाग के प्राध्यापक श्री मुकेश वर्मा ने किया।
- विश्वविद्यालय ने गोद लिया गांव बिलारा
- क्रीड़ा, योग एवं दक्षता प्रोत्साहन भी है विवि का लक्ष्य
- गर्भवती माताओं, किशोरियों और शिशु संबंधी कार्यक्रम से अवगत कराया
- क्षय रोगी किशोरी के समस्त ईलाज का खर्च उठाएंगे विवि के कुलपति
- विदिशा की सी.एम.ओ डॉ शशि ठाकुर थीं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि
- कुलपति आचार्य प्रो. यज्ञेश्वर एस. शास्त्री ने किया फल वितरण
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आज अकादमिक परिसर के करीब के ही ग्राम बिलारा, पोस्ट-मखनी, ज़िला रायसेन में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। सांची विश्वविद्यालय ने इस गांव को गोद लिया है। ग्राम बिलारा के सामुदायिक केंद्र में आयोजित किए गए इस स्वास्थ्य शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने पहुंचकर स्वास्थ संबंधी जानकारियां हासिल कीं।
इस स्वास्थ शिविर के दौरान गांव की 52 महिलाओं और 12 बच्चों के स्वास्थ की जांच की गई। गर्भवती माताओं, किशोरियों और बच्चों को मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिशु स्वास्थ पोषण कार्यक्रम एवं टीकाकरण की जानकारी प्रदान की गई।
स्वास्थ्य कैंप में मुख्य अतिथि के तौर सम्मिलित विदिशा की सी.एम.ओ डॉ. शशि ठाकुर ने लोगों को मध्य प्रदेश शासन की स्वास्थ्य संबंधी समस्त योजनाओं की जानकारी दीं। सांची विश्वविद्यालय ने इस ग्राम में क्रीड़ा, योग, दक्षता प्रोत्साहन एवं स्वच्छता संबंधी जागरूकता को लक्ष्य बनाया है।
इसी के अंतर्गत प्रथम चरण में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। इस दौरान स्वास्थ शिविर में पहुंची एक क्षय रोगी किशोरी के इलाज का समस्त व्यय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आचार्य डॉ यज्ञेश्वर एस. शास्त्री ने उठाने का फैसला किया है।
इस स्वास्थ शिविर में ग्रामवासियों को क्षय रोग और कुष्ठ रोगों के संभावित रोगियों को उपचार के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान की गई। इस दौरान कुलपति आचार्य प्रो. यज्ञेश्वर एस शास्त्री एवं मुख्य अतिथि डॉ. शशि ठाकुर ने फल वितरण भी किया। विश्वविद्यालय की डॉ. रितु सक्सेना और डॉ अंजलि दुबे एवं नर्सिंग स्टाफ सहित समस्त कर्मचारियों ने शिविर के आयोजन में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया।
“ मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है संस्कृत ”- कुलपति डॉ. शास्त्री
“ आम लोगों के ही सहयोग से रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए ”
“ पुन : अपना गौरव हासिल कर लेगी संस्कृत ”- डॉ. शास्त्र
“ अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रंथों को नष्ट कर दिया ” - आचार्य अभय कात्यायन
“संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन ज़रूरी है ”- आचार्य अभय कात्यायन
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञेश्वर शास्त्री ने संस्कृत दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों को संस्कृत में ही संबोधित किया। कुलपति डॉ शास्त्री ने कहा कि संस्कृत, मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है तथा रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना आम व्यक्तियों के सहयोग से ही हो सकी है। उन्होंने कहा कि आम बोलाचाल में उपयोग बढ़ जाने पर यह फिर अपना गौरव हासिल कर लेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि “अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रेंथों को नष्ट कर दिया”। उनका कहना था कि बाइबल में भी एक देश और एक भाषा बोलने वालों का वर्णन है और हमें अपनी भाषा और अपने ग्रंथ पढ़ने चाहिए। उनका कहना था कि अल्पज्ञान ने ही भाषाओं को नुकसान पहुंचाया है। आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है आचार्य कात्यायन संस्कृत के अलावा हिंदी, अंग्रेज़ी, पाली, सिंहली, फ्रेंच, तिब्बती भाषाओं के भी ज्ञाता हैं। सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने ज्ञान के नए सूत्र खोजे जाने पर ज़ोर दिया।
विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने बताया कि शोध में यह बात सामने आई है कि संस्कृत का उपयोग करने से दिमाग के तंतु जागृत होते हैं। संस्कृत दिवस पर विश्वविद्यालय में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें निबंध प्रतियोगिता, छंद पाठ प्रतिस्पर्धा, श्लोक पाठ प्रतिस्पर्धा और व्याख्यानमाला शामिल थे। “योग: कर्म कौशल” तथा “भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत और संस्कृति की आवश्यकता” जैसे विषयों पर निबंध लेखन आयोजित किया गया। भगवद गीता के द्वितीय अध्याय पर उल्लेखित श्लोकों पर आधारित श्लोकपाठ प्रतियोगिता आयोजित की गई। डॉ नवीन दीक्षित ने संस्कृत और समाज का अपनी दृष्टि से अध्ययन करने पर ज़ोर दिया।
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