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दिमाग़ के तंतु जागृत कर देती है संस्कृत - सांची विश्वविद्यालय में संस्कृत दिवस का आयोजन

“ मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है संस्कृत ”- कुलपति डॉ. शास्त्री
“ आम लोगों के ही सहयोग से रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए ”
“ पुन : अपना गौरव हासिल कर लेगी संस्कृत ”- डॉ. शास्त्र
“ अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रंथों को नष्ट कर दिया ” - आचार्य अभय कात्यायन
“संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन ज़रूरी है ”- आचार्य अभय कात्यायन

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञेश्वर शास्त्री ने संस्कृत दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों को संस्कृत में ही संबोधित किया। कुलपति डॉ शास्त्री ने कहा कि संस्कृत, मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है तथा रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना आम व्यक्तियों के सहयोग से ही हो सकी है। उन्होंने कहा कि आम बोलाचाल में उपयोग बढ़ जाने पर यह फिर अपना गौरव हासिल कर लेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि “अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रेंथों को नष्ट कर दिया”। उनका कहना था कि बाइबल में भी एक देश और एक भाषा बोलने वालों का वर्णन है और हमें अपनी भाषा और अपने ग्रंथ पढ़ने चाहिए। उनका कहना था कि अल्पज्ञान ने ही भाषाओं को नुकसान पहुंचाया है। आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है आचार्य कात्यायन संस्कृत के अलावा हिंदी, अंग्रेज़ी, पाली, सिंहली, फ्रेंच, तिब्बती भाषाओं के भी ज्ञाता हैं। सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने ज्ञान के नए सूत्र खोजे जाने पर ज़ोर दिया।
विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने बताया कि शोध में यह बात सामने आई है कि संस्कृत का उपयोग करने से दिमाग के तंतु जागृत होते हैं। संस्कृत दिवस पर विश्वविद्यालय में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें निबंध प्रतियोगिता, छंद पाठ प्रतिस्पर्धा, श्लोक पाठ प्रतिस्पर्धा और व्याख्यानमाला शामिल थे। “योग: कर्म कौशल” तथा “भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत और संस्कृति की आवश्यकता” जैसे विषयों पर निबंध लेखन आयोजित किया गया। भगवद गीता के द्वितीय अध्याय पर उल्लेखित श्लोकों पर आधारित श्लोकपाठ प्रतियोगिता आयोजित की गई। डॉ नवीन दीक्षित ने संस्कृत और समाज का अपनी दृष्टि से अध्ययन करने पर ज़ोर दिया।