भारत लोकतंत्र की जननी’ में सांची विवि की कुलपति का आलेख
- भारत के 30 मूर्धन्य विद्वानों के बीच डॉ नीरजा ए गुप्ता का आलेख
भारत सरकार की संस्था भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ पर केंद्रित शोध पुस्तिका में सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा अरूण गुप्ता का लेख भी शामिल किया गया है। देश के प्रख्यात 30 विद्वानों के लिखे शोध आलेखों में भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।
‘Governing Principles of Democracy in Ancient Sanskrit Scriptures based on Sruti, Smriti, Itihas and Mahakavya Texts’ अर्थात ‘प्राचीन संस्कृत में उल्लेखित श्रुति, स्मृति, इतिहास व महाकाव्यों में लोकतंत्र के शासी सिद्धांतों’ शीर्षक के शोध पत्र में वैदिक काल से प्राप्त लोकतंत्र के प्रमाण को रेखाकिंत किया गया है। डॉ. नीरजा गुप्ता ने बताया कि Republic अर्थात गणतंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में 40 बार और अथर्ववेद में 9 बार मिलता है।
वेदों के विभिन्न श्लोकों के माध्यम से डॉ. नीरजा ने सुशासन व लोकतंत्र को व्याख्यायित किया है। उन्होंने विभिन्न सूत्रों के माध्यम से वैदिक काल में लोकतंत्र की परिभाषा के साथ ही कार्यपालिका, विधायिका और न्यायव्यवस्था संबंधी सूत्रों को भी व्याख्यायित किया है।
‘भारत लोकतंत्र की जननी’ शोध पुस्तिका के मुख्य संपादक भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के चेयरमैन श्री रघुवेंद्र तंवर व सदस्य सचिव उमेश अशोक कदम हैं। इसमें डॉ नीरजा गुप्ता के साथ ही प्रो. कपिल कपूर, प्रो. हरिहर पांडा, प्रो. के.टी.एस सराव, प्रो. निलांजन डे, प्रो. अरविंद जमखेड़कर और प्रो. टी.वी कट्टिमनी समेत प्रसिद्ध विद्वानों के लेख हैं।